मुजफ्फरपुर: बिहार के कई इलाकों में हर साल बच्चों पर कहर बनकर टूटने वाले चमकी बुखार को लेकर अब प्रदेश की सरकार ज्यादा संजीदा हो गई है. मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में इस बुकार की वजह से हर साल बड़ी संख्या में बच्चों को जान गंवानी पड़ती है. ऐसे में बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस (एईएस) बीमारी से ठीक हो चुके बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच होगी. परिजनों का कहना है कि एईएस से ठीक हो चुके बच्चों के ठीक हो जाने के बाद भी मरीजों की परेशानी पूरी तरह समाप्त नहीं हो रही है.


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मुजफ्फरपुर के सूचना जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह ने मंगलवार को बताया कि जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारियों और प्रखंड विकास पदाधिकारियों को इसे लेकर निर्देश दिया है.


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उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य जांच में देखा जाएगा कि एईएस से ठीक हो चुके बच्चों की क्या स्थिति है तथा उन्हें कोई समस्या तो नहीं है. परीक्षण के दौरान यह भी देखा जाएगा कि मरीजों के ठीक होने के बाद तुरंत फिर से उनकी तबीयत तो नहीं खराब हो रही है.


जांच के दौरान एईएस (चमकी बुखार) से उसके स्वास्थ्य पर क्या असर डाला और उसके वजन में क्या अंतर आया है, इसकी भी जांच की जाएगी.


सिंह बताते हैं कि इस साल एईएस से ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत 95 प्रतिशत से ऊपर है. उन्होंने कहा कि अब तक एईएस बीमारी से पीड़ित 25 बच्चे श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (एसकेएमसीएच) में भर्ती हुए हैं, जिसमें से दो की मौत हो चुकी है. फिलहाल एक मरीज शिशु वार्ड में भर्ती है, शेष सभी मरीज स्वस्थ्य होकर वापस घर जा चुके हैं.


इधर, मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी बच्चों में कुछ परेशानी रह जा रही है.


उल्लेखनीय है कि गर्मी के प्रारंभ होने के बाद पिछले कई सालों से मुजफ्फरपुर तथा इसके आसपास के इलाके में एईएस बीमारी का कहर प्रारंभ होता है. हालांकि इस वर्ष मरीजों की संख्या में कमी देखी जा रही है. माना जा रहा है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के कारण इस बीमारी को लेकर लोग जागरूक हुए हैं.
(इनपुट-आईएएनएस)