Patna: राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के दिग्‍गज नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह (Dr. Raghuvansh Prasad Singh) ​की आज पहली पुण्यतिथि है. उनकी पहली पुण्यतिथि पर राज्य में अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. इसी कड़ी में मुजफ्फरपुर में भी कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इस  शोकसभा सह श्रद्धांजलि सभा के इस कार्यक्रम में RJD नेता तेजस्वी यादव समेत RJD के कई नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे और रघुवंश प्रसाद सिंह को श्रद्धांजलि देंगे. आइये जानते है  डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के जीवन से जुड़े कुछ पहलू: 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वैशाली के शाहपुर में हुआ था जन्म 


उनका जन्‍म 6 जून 1946 को वैशाली के शाहपुर में हुआ था. उन्होंने ने बिहार यूनिवर्सिटी से गणित में डॉक्‍टरेट की उपाधि हासिल की थी. 


कुछ इस तरह का रहा है राजनीतिक सफर 


युवा अवस्था में ही वो लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्‍व में हुए आंदोलनों में शामिल हो गए थे. उन्हें 1973 में संयुक्‍त सोशलिस्‍ट पार्टी का सचिव बनाया गया था. इसके बाद वो 1977 से 1990 तक बिहार राज्‍यसभा के सदस्‍य भी रहे.


जिसके बाद 1977 से 1979 तक वो बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे. इसके बाद उन्हें लोकदल का अध्‍यक्ष भी बनाया गया था. इसके अलावा 1990 में उन्‍होंने बिहार विधानसभा के सहायक स्‍पीकर का पदभार भी संभाला था.


लोकसभा के सदस्‍य के रूप में उनका पहला कार्यकाल 1996 से शुरू हुआ था. 1996 के लोकसभा चुनाव में वो फिर से निर्वाचित हुए और उन्‍हें बिहार राज्‍य के लिए केंद्रीय पशुपालन और डेयरी उद्योग राज्‍यमंत्री बनाया गया था.


वो लोकसभा में दूसरी बार 1998 में निर्वाचित हुए थे. इसके अलावा1999 में तीसरी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. इस कार्यकाल के दौरान वो गृह मामलों की समिति के सदस्‍य भी रहे थे, 2004 में चौथी बार उन्‍हें लोकसभा सदस्‍य के रूप में चुना गया और 23 मई 2004 से 2009 तक वे ग्रामीण विकास के केंद्रीय मंत्री रहे थे. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनावों में उन्‍होंने पांचवी बार जीत हासिल की थी. 


रखी थी मनरेगा की नींव 


वो UPA-1 की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री थे. इस दौरान उन्होंने मनरेगा शुरू किया था. उन्हें मनरेगा (MGNREGA) क़ानून का असली शिल्पकार माना जाता है. भारत में इस कानून को ऐतिहासिक माना गया था. माना जाता है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में UPA को मनरेगा की मदद से ही जीत हासिल हुई थी. 


निधन पर लालू भी हो गए थे निशब्द 


डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह लालू प्रसाद यादव के बेहद करीब थे. उन्होंने पूरी जिंदगी कभी भी RJD का साथ नहीं छोड़ा था. अंतिम समय में उन्होंने लालू यादव को इस्तीफा भेजा था लेकिन लालू ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया था.


 


2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में RJD की हार के बाद कई बड़े नेता पाला बदलकर नीतीश कुमार के साथ आ गए थे.लेकिन इस दौरान भी उन्होंने लालू का साथ नहीं छोड़ा था. उनके मौत की खबर पर लालू ने ट्वीट किया था, 'प्रिय रघुवंश बाबू! ये आपने क्या किया? मैनें परसों ही आपसे कहा था आप कहीं नहीं जा रहे है. लेकिन आप इतनी दूर चले गए. नि:शब्द हूं. दुःखी हूं. बहुत याद आएंगे.


 



p>