`अग्निपथ` योजना को लेकर उपद्रवियों ने जो ट्रेनें फूंकी जानिए उससे रेलवे को कितना हुआ नुकसान
सेना में बहाली की अग्निपथ योजना को लेकर देशभर के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. पिछले कई दिनों से चल रहा आंदोलन (Protest) हिंसा में तब्दील हो गया है. बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जगह-जगह आगजनी की जा रही है.
Patna: सेना में बहाली की अग्निपथ योजना को लेकर देशभर के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. पिछले कई दिनों से चल रहा आंदोलन (Protest) हिंसा में तब्दील हो गया है. बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जगह-जगह आगजनी की जा रही है. आंदोलनकारियों ने सबसे ज्यादा बिहार में उत्पात मचा रखा है. इस योजना के विरोध में युवाओं का गुस्सा इतना बढ़ा हुआ है कि अब तक कई ट्रेनों को आग के हवाले कर चुके हैं. शुक्रवार को तो बिहार के लखीसराय में युवाओं ने विक्रमशिला एक्सप्रेस (12368 Vikramshila Express) को पूरी तरह जला डाला. मोहिउद्दीन नगर में लोहित एक्सप्रेस के अलावा अन्य स्टेशनों पर और ट्रेनों में भी आग लगा दी गई.
रेलवे की कोई भी संपत्ति देश की संपत्ति है, सार्वजनिक संपत्ति है और इसमें देश के लोगों का ही पैसा लगता है. ऐसे में ट्रेनों में आग लगा देना या स्टेशनों में तोड़फोड़ करने से युवा अपना और अपने देश का नुकसान कर रहे हैं. देश के राजनीतिक दलों ने युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की है. रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, केवल पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत ट्रेनों के 60 से अधिक कोच और 10 से अधिक इंजन में आग लगा दी गई. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, रेलवे की संपत्तियों की तोड़फोड़ और आगजनी से केवल बिहार में करीब 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. आपको बता दें कि केवल एक ट्रेन के तैयार होने में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं.
एक ट्रेन बनाने में कितने का खर्च आता है?
ट्रेन की एक बोगी तैयार करने में करोड़ो खर्च होते है. एक ट्रेन जलाने पर कितने रुपये का नुकसान होता है, थोड़ा कैलकुलेशन कर लिया जाए. तो इसका मोटा-मोटी अनुमान लगाया जा सकता है. एक एलएचबी कोच के प्रॉडक्शन पर अनुमानित करीब 2.5 करोड़ रुपये का खर्च आता है. वहीं, एलएचबी कोच के एक रेक यानी ट्रेन पर करीब 40 करोड़ रुपये खर्च आता है. इसके साथ करीब 15 करोड़ का इंजन लगा होता है. ऐसे में इसकी लागत 55 करोड़ रुपये हो जाती है. हालांकि यह अनुमान साल भर पहले का है. हाल के दिनों में यह लागत बढ़ी होगी.
इस 2.5 करोड़ रुपये के हिसाब से भी देखा जाए तो 23 कोच वाले ट्रेन की कीमत 57.5 करोड़ होगी. इंजन की लागत जोड़ दें तो कुल कॉस्ट 72.5 करोड़ रुपये होता है. इसके बाद आता है इसकी फिनिशिंग का खर्च, स्लीपर कोच की तुलना में थर्ड एसी की लागत ज्यादा होती है. इसी तरह बोगी जितनी ज्यादा अपग्रेड होगी, लागत उतनी बढ़ती जाती है. ऐसे में विक्रमशिला की जिस रेक में आग लगाई गई, उसके जलने पर अनुमानित तौर पर 110 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ होगा.