पटनाः yoga day: जो करेगा योग...नहीं छुएगा कोई रोग, निरोगी काया, स्वस्थ स्वास्थ्य और फुर्तिला शरीर आज हर इंसान की चाहत  है. लेकिन असंतुलित जीवन शैली की जद में आने से ये बस ख्वाब बनकर रह गया है. आज लोग फिट रहने के लिए एक्सरसाइज, एरोबिक्स, जुम्बा और ना जाने कितनी शैलियों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. योग से नाता दूर होता जा रहा है. जबकि ये कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि योग मनुष्य को परिपूर्ण बनाता है.


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एकाग्रता को बढ़ाता है योग
'योग' शब्द की बात करें तो ये 'युज' धातु से बना है. संस्कृत भाषा में योग का अर्थ जोड़ना और मन की स्थिरता है. अर्थात एक ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है. जो आत्मा, मन और शरीर को जोड़ता है या कहे की साथ लाने का काम करता है. योग से ना सिर्फ आंतरिक बल्कि शरारिक तौर पर भी लाभदायक सिद्ध होता है. योग करने से इंसान मानसिक और शारारिक रूप से मजबूत बनता है. बीमारियों और कष्टों से लड़ने की शक्ति योग शरीर को प्रदान करता है. 


योग के 32 आसन प्रसिद्ध
योग शास्त्रों के अनुसार चौरासी लाख आसन हैं. लेकिन चौरासी आसनों को प्रमुख माना गया है. जिनमें से बत्तीस आसन ही प्रसिद्ध हैं. वहीं पद्मासन वो आसन हैं जो योग शुरू करने से पहले सर्वाप्रथम करना चाहिए. पद्मासन मन को एकाग्र करते हुए शरीर को योग के लिए तैयार करता है. ब्रह्म मुहूर्त में योग करना सर्वाधिक फलदायक होता है. योग में कुल आठ आसन अर्धमत्स्येन्द्रासन, पद्मासन, भद्रासन, भुजंगासन, चक्रासन, धनुरासन, गोमुखासन और हलासन
होते हैं. 


स्वामी विवेकानंद ने कराया परिचय
इतिहास के मुताबिक योग की उत्पति करीब 5 हजार साल पहले हुई थी. सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग की कलाकृतियां मिली हैं. हालांकि 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागों में आयोजित एक धार्मिक सम्मेलन में योग और योग के लाभों को दुनिया के समक्ष रखा था. जिसके बाद परमहंस योगानंद महाराज और कई धार्मिक गुरुओं ने योग को दुनिया से परिचित कराया. 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव को सभी देशों ने बिना वोट के स्वीकार कर लिया था. 


21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
पहली बार 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाया गया था. तभी से इस दिन योग दिवस मनाने की परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि 20 जून से सूर्य दक्षिण की ओर चला जाता है.  जिससे दिन छोटे हो जाते हैं. इसलिए इन दिनों पूजा, तपस्या, जाप और योग करने से कष्ट दूर होते हैं.


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