पटनाः Lata Mangeshkar: लता दीदी को गए हफ्ता होने को आया, लेकिन उनकी यादें जेहन से मिटाई ही नहीं जा सकती. कोई भी मौका होता है, तो कहीं से उनके बजते गीत कानों में पहुंच जाते हैं तो यादें खुद-ब-खुद सफर पर निकल पड़ती हैं. ऐसी ही एक याद बिहार से जुड़ी है, जो हमेशा जेहन में बनी रहेगी. बात महान कथा शिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की अमर कृति 'मारे गए गुलफाम' से जुड़ी हुई. ऐसे तो लता मंगेशकर कभी बिहार नहीं आईं, लेकिन उनका एक संबंध सीधा-सीधा हिंदी पट्टी के इस प्रदेश से जुड़ा हुआ है. 


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1966 की बात
बिहार के अररिया जिले के रेणुग्राम (औराही हिंगना) में रेणु परिवार की पीढ़ी पुष्पित-पोषित हो रही है. यहां रहने वाले रेणु के पुत्र के पास लता जी का एक दुर्लभ फोटो है. मीडिया बातचीत में रेणु के पुत्र दक्षिणेश्वर प्रसाद राय ने बताया था कि 'यह तस्वीर फिल्म तीसरी कसम के गानों की रिकॉर्डिंग के समय की है. फिल्म के तीन गाने लता जी ने गाए थे. तीसरी कसम को रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' के आधार पर बनाया गया था. यह बात 1966 के आसपास की है. 


तीन गाने गाए थे
स्टूडियो में गाने की रिकॉर्डिंग हो रही थी. फणीश्वरनाथ रेणु भी मौजूद थे. जो गाना रिकॉर्ड होना था वह फिल्म का टाइटल सॉग था. मारे गए गुलफाम अजी हां मारे गए गुलफाम. रेणु उस गीत की लाइव रिकार्डिंग को देख सुन रहे थे. लता दीदी से आठ वर्ष बड़े रेणु उनका काफी सम्मान करते थे. उन्होंने स्टूडियो में लताजी से कहा था, आपने मेरी कहानी पर बन रही फिल्म में अपनी मीठी सुरीली आवाज देकर मुझे धन्य कर दिया. ऐसा महसूस कर रहा हूं कि मेरी लेखनी आपकी आवाज से जीवंत हो उठी हो. मां सरस्वती की कृपा आप पर आजीवन बनी रहे.


याद आएंगी लता जी
इस गाने के अलावा लता मंगेशकर ने दो औऱ गाने गाए थे. दूसरा गाना था रात ढलने लगी, चांद छुपने चला, आ आ भी जा था और तीसरा गाना था दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई . इस गाने का फीमेल वर्जन फिल्म में हीराबाई (वहीदा रहमान) ने गुनगुनाते हुए गाया है. इसे लता दीदी ने आवाज दी है. जब-जब कहीं भी फिल्म तीसरी कसम का जिक्र होगा और ये गाने गाए जाएंगे, लता दीदी की याद बिहार को जरूर आएगी.