Gaya: पितरों को तर्पण करने का पक्ष पितृपक्ष आज से प्रारंभ हो गया है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृपक्ष में पिंडदान करने का अपना एक अलग ही महत्व है. बता दें कि पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. 


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मोक्ष की धरती पर जुटे पिंडदानी


मोक्ष की नगरी गया में कोरोना संक्रमण के बाद पहली बार तर्पण, श्राद्ध और कर्मकांड की शुरुआत की गई. देश के कोने-कोने से लोग अपने पितरों के उद्धार और मोक्ष की प्राप्ति के लिए यहां पहुंच रहे हैं. पितृपक्ष के पहले दिन पिंडदानियों ने पवित्र फल्गु नदी में स्नान करने के बाद अपने पितरो का तर्पण किया.


पितरों को मिलेगा मोक्ष


इस दौरान अलग-अलग प्रदेशों से आनेवाले तीर्थयात्रियों ने अपने परिवार समेत खुद से जुड़े तीन कुलों यानी पिता, ससुराल और ननिहाल पक्ष के पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान किया.


कोरोना से घटी तीर्थयात्रियों की संख्या


कोरोना काल से पहले श्राद्ध पक्ष पर गया में पहले ही दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु नजर आना शुरू हो जाते थे, लेकिन इस बार तीर्थ यात्रियों की संख्या पांच से सात हजार के बीच सिमटी नजर आ रही है. पितृपक्ष के पहले दिन यूपी, मध्यप्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और बंगाल के तीर्थ यात्रियों ने कर्मकांड किया.


पितरों का मिलता है आशीर्वाद


बता दें कि भाद्रपद महिने की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष चलता है. इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा माना जाता है कि इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस साल 20 सितंबर 2021 से पितृ पक्ष का आरंभ हो रहा है, जिसका समापन 6 अक्टूबर 2021 को होगा.


मेले के आयोजन पर रोक


गौरतलब है कि साल 2020 में कोरोना संक्रमण की वजह से मेला का आयोजन नहीं किया गया था. इस बार भी मेले का आयोजन स्थगित किया गया है.


पांडा समाज ने परंपरा का किया निर्वाहन 


वहीं, पिछली बार पांडा समाज के लोगों ने ही अपने पितरों का पिंडदान कर परंपरा का निर्वाहन किया था. लेकिन इस बार बिहार सरकार की अनुमति के बाद  सीमित संख्या में पिंडदानी गया पहुंच रहे हैं. जो कोविड प्रोटोकॉल का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं.


(इनपुट: जय प्रकाश)