पटनाः Rath yatra 2022: कोरोना काल के बाद पुरी में अब एक बार फिर से धूमधाम से रथयात्रा का आयोजन होने जा रहा है. ओडिषा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में सदियों से रथयात्रा निकाले जाने की परंपरा जारी है. यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र का देवी गुंडीचा के मंदिर तक भ्रमण का वार्षिक कार्यक्रम है. इस रथयात्रा को देखने देश-विदेश से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. इसके साथ ही रथ खींचना अपने आप में सौभाग्य माना जाता है. कहते हैं इस रथ की रस्सी को छूने से कर्मों के बंधन कट जाते हैं. 


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रथ निर्माण में है तय व्यवस्था
रथयात्रा जितनी खास है, उससे अधिक अनोखा और खास है रथों का निर्माण. भगवान के रथ निर्माण की प्रक्रिया बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है. इसमें लकड़ी की खोज, उनकी कटाई से लेकर उन्हें रथ निर्माण शाला में रखे जाने तक सभी कुछ एक अनुष्ठान के तहत होता है. इसके अलावा रथ निर्माण के कारीगरों और कलाकारों की भी एक निश्चित व्यवस्था है, जिसमें हर कारीगर को उसका काम बांटा गया है. काम बंटे होने के साथ ही उस कारीगर का नाम भी तय होता है, जिसे उसकी उपाधि दी जाती है.  


हर हिस्से के अलग कलाकार
इनमें सबसे पहले महाराणा आते हैं. महाराणा लोगों का कार्य लकड़ी को खोजकर, उन्हें लाकर रथशाला में रखना होता है. यहां से शुरू होती है कारीगरों की पूरी लिस्ट. इनमें सबसे पहले आते हैं गुणकार. गुणकार लोगों का काम रथ के आकार के मुताबिक लकड़ियों का आकार तय करना होता है. 


पहिए बनाते हैं पहि महाराणा
दूसरे नंबर पर पहि महाराणा लोग आते हैं. यह कारीगर रथ के पहियों से जुड़ा काम देखते हैं. तीसरे दर्जे पर होते हैं, कमर कंट नायक. इनकी जिम्मेदारी होती है कि वह रथ के लिए कीलें, एंगल, अकुड़े तैयार करें और उन्हें जरूरी जगहों पर सेट करके लगा दें. चौथे स्थान पर चंदाकार लोग या कारीगर आते हैं. 


रथ भोई कलाकार होते हैं महत्वपूर्ण
चंदाकार लोगों को रथों के अलग-अलग बन रहे हिस्सों को आपस में सजाने का काम सौंपा गया है. अगले नंबर पर आने वाले रूपकार और मूर्तिकार लोग रथ में लगने वाली लकड़ियों को काटते हैं और सजावट का काम करते हैं. चित्रकारों के हिस्से रथ पर रंग-रोगन और चित्रकारी का काम होता है. सुचिकार या दरजी सेवक रथ की सजावट के लिए कपड़े सिलते हैं. सबसे आखिरी में आते हैं रथ भोई जो कि प्रमुख कारीगरों के सहायक और मजदूर होते हैं. बिना इनके रथ निर्माण की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.


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