छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है स्ट्रॉबेरी की खेती
स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान कहते हैं कि उन्होंने करीब 13 हजार 500 रूपए की लागत से खेती शुरू की थी. स्ट्रॉबेरी की पैदावार शुरू होने के बाद से अबतक वो 25 हजार से ज्यादा का मुनाफा कमा चुके हैं. उन्हें उम्मीद है कि अप्रैल के अंत तक स्ट्रॉबेरी में फल आते रहेंगे
पटना: बाढ़ के अथमलगोला प्रखंड का फुलेल पुर गांव इन दिनों स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर चर्चा में है. क्योंकी यहां के एक किसान बेहतर तरीके से स्ट्रॉबेरी की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं. फुलेलपुर के किसान कृष्णा सिंह की मदद जीविका दीदी भी करती हैं. किसान कृष्णा सिंह जीविका विभाग में कार्यरत हैं और अथमलगोला प्रखंड में वीआरपी के पद पर तैनात हैं. कृषि क्षेत्र में बेहतर काम करने के साथ-साथ जीविका के माध्यम से उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत अपने छोटे से खेत में की. और कम दिनों में ही उनको इसका फायदा दिखने लगा है.
महाराष्ट्र के पुणे से पौधे मंगवा कर शुरू की खेती
फुलेलपुर के किसान कृष्णा सिंह ने बताया कि उन्होंने ट्रेनिंग से ज्यादा यूट्यूब के माध्यम से स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जानने की कोशिश की और उनको इसका लाभ भी मिला. जब उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पूरी जानकारी ले ली तब महाराष्ट्र के पुणे से महज 600 पौधे मंगवा कर खेती करना शुरू दी. अक्टूबर में लगाए गए पौधों में अब फल आना शुरू हो गए हैं.
स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान कहते हैं कि उन्होंने करीब 13 हजार 500 रूपए की लागत से खेती शुरू की थी. स्ट्रॉबेरी की पैदावार शुरू होने के बाद से अबतक वो 25 हजार से ज्यादा का मुनाफा कमा चुके हैं. उन्हें उम्मीद है कि अप्रैल के अंत तक स्ट्रॉबेरी में फल आते रहेंगे. इस काम के लिए किसान कृष्णा सिंह को उनकी पत्नी आरती भी सहयोग करती हैं. हालांकी आरती खुद अथमलगोला प्रखंड में जीविका दीदी हैं.
पटना की प्रदर्शनी मेले में सीएम ने की तारीफ
खेती के वैकल्पिक माध्यम को अपनाने और स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए किसान कृष्णा सिंह की तारीफ सीएम नीतीश कुमार भी कर चुके हैं. कृष्णा सिंह ने बताया कि 'हाल के दिनों में पटना में लगी प्रदर्शनी मेले में उनके स्ट्रॉबेरी के उत्पादन के लिए सीएम ने वाहवाही की. साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने और उपस्थित किसानों को भी उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही' इस दौरान कृषि मंत्री ने भी सराहना करते हुए किसानों को और भी अधिक पैदाबार करने की नसीहत दी.
इलाके के किसान भी हो रहे हैं प्रेरित
आमतौर पर पारंपरिक खेती से मुंहमोड़ चुके किसानों के लिए कृष्णा सिंह की स्ट्रॉबेरी की खेती एक उदाहरण बन रही है. नगदी फसल के रूप में इस वर्ष के अक्टूबर महीने में अपनी खेत को तैयार रखने के साथ-साथ स्ट्रॉबेरी की खेती बड़े पैमाने पर करने की तैयारी में भी जुट गए हैं. हालांकि स्ट्रॉबेरी की खपत के लिए अधिकांशत जीविका संगठन के लोग ही सहयोग कर रहे हैं. वहीं बाजार के दुकानदार औने-पौने दामों में खरीदने का प्रयास करते हैं.
वहीं कृष्णा सिंह का कहना है कि आसपास के गांव के लोग भी इस नए फल को खरीद कर खाने का काम करते हैं और इसका उन्हें 400 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बाजार में दाम मिल जाता है. अच्छी कीमत मिल जाने से किसानों के हौसले और भी बढ़ रहे हैं. इस तरह की खेती किसानों की जिंदगी सवांर रही है. कृष्णा और आरती का प्रयास इलाके के छोटे-मोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है.
इनपुट- सुनील कुमार अंशु
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