पटनाः Suryadev in Astrology: सनातन परंपरा में सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता के रूप में देखा जाता है. सूर्य देव हमारी चेतना के आधार हैं और समस्त चराचर जगत में उन्हें के प्रताप से जीवन की ज्योति जल रही है. वैदिक ज्योतिष में सूर्य को एक विशेष ग्रह का स्थान प्राप्त है, जिन्हें ग्रहों का अधिपति भी कहते हैं. सूर्य देव सम्नान, सामाजिक प्रतिष्ठा और गर्व-अभिमान के कारक हैं. जिनकी राशि में सूर्य का स्थान प्रबल होता है, उन्हें ये सारी प्रतिष्ठाएं एक साथ मिलती हैं. 


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ये है सूर्य का प्रभाव
ज्योतिष के नजरिए से देखें तो सूर्य देव ग्रह में एक खासियत है. सूर्य ग्रह सभी नौ ग्रहों के बीच एकमात्र ऐसा ग्रह है जो कभी वक्री नहीं होता और सदैव मार्गी रहता है. जब ग्रह अपनी सीधी चाल में होते हैं तो उन्हें मार्गी कहते हैं और जब वे उल्टी चाल चल रहे होते हैं तो उसे वक्री कहा जाता है. सूर्य मेष राशि में उच्च और तुला राशि में नीच होते हैं. जिन राशियों में सूर्य मजबूत स्थिति में होता है, उनका आत्मविश्वास काफी मजबूत होता है. 


कमजोर हों सूर्य तो होते हैं बुरे असर
इसी तरह अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य का स्थान निम्न है, या फिर वह कमजोर स्थिति में है तो व्यक्ति आत्मविश्वास से कमजोर हो जाता है. उसे अपने लिए गए फैसलों पर शंका होती रहती है. बहुत मेहनत करने के बाद भी इन्हें निम्न फल ही हासिल होते हैं. सूर्य ग्रह कमजोर हो जाए तो ऐसी स्थिति में जातकों के स्वभाव में भी नकारात्मक बदलाव आते हैं. ऐसे लोगों को जीवन में हृदय संबंधी बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है.


रविवार को करें पूजा
सूर्यदेव को प्रसन्न रखने के लिए जरूरी है कि उपाय किए जाएं. दरअसल, इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्राचीन ऋषि मुनियों ने सूर्य नमस्कार का विधान तय किया था. सूर्योदय से पूर्व उठने का नियम भी इसीलिए बनाया गया है. जीवन में सिर्फ इस एक नियम को अपना लेने से ही सूर्यदेव की कृपा प्राप्त हो जाती है. इसके अलावा रविवार को सूर्यदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए. रविवार का दिन उनका खास दिन है.