Patna: बिहार में सत्ताधारी गठबंधन का घमासान दिनों-दिन और तीखा होता जा रहा है. NDA के दो सबसे प्रमुख घटक दल BJP और JDU के बीच तकरार चरम पर पहुंच गई है. पिछले कुछ महीनों से कई मुद्दों पर दोनों दलों की असहमति अब मनमुटाव का रूप लेती नज़र आ रही है. जो बयानबाजी पहले चंद बड़बोले नेताओं तक सीमित थी, वो अब प्रवक्ताओं से होते हुए प्रदेश अध्यक्ष स्तर तक पहुंच गई है. यहां तक कि एक-दूसरे को खुलेआम चुनौती और चेतावनी दी जा रही है.


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दो दशक से भी ज्यादा वक्त तक एक-दूसरे के साथ गठबंधन में रहे बिहार के दो बड़े दल BJP और JDU एक बार फिर सरकार में साथ हैं. लेकिन हालात दो दशक पहले जैसे नहीं हैं. हमेशा से हैसियत में BJP से मजबूत रही JDU इस बार संख्या बल के हिसाब से विधानसभा में BJP से कम है. फिर भी चुनाव पूर्व ऐलान के मद्देनजर BJP ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन शायद अब BJP पहले जैसी नरम नहीं रहना चाहती और JDU को अपने दबाव में रखने की कोशिश कर रही है. परिणाम ये है कि अब दोनों दलों की तकरार सतही स्तर पर आ गई है.


संजय जायसवाल की JDU नेताओं को दो टूक


BJP और JDU के बीच चल रही तकरार के केन्द्र में खुद BJP के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल हैं. JDU की तरफ से प्रदेश प्रवक्ता बयान दे रहे थे, लेकिन संजय जायसवाल ने खुद को ही मोर्चे पर तैनात कर लिया. इसके बाद सोशल मीडिया पर वो घमासान छिड़ा कि सहयोगी दल से लेकर विरोधी दल और यहां तक कि जनता भी हैरान है. JDU के प्रवक्ता सवाल उठा रहे हैं, तो संजय जायसवाल जवाब दे रहे हैं. जब संजय जायसवाल कुछ लिख रहे हैं, तो JDU भी पलटवार में देर नहीं कर रही है.


अपने नए सोशल मीडिया पोस्ट में संजय जायसवाल ने JDU को सीधी चेतावनी दे दी है. जायसावल ने JDU को साफ कहा है कि 'प्रधानमंत्री के साथ JDU नेता ट्विटर-ट्विटर खेलना बंद करें. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी BJP के करोड़ों कार्यकर्ताओं का अभिमान हैं. पीएम के सम्मान में कोई कोताही बरतेगा तो BJP कार्यकर्ता चुप नहीं बैठेगा. उसका जवाब बिहार के लाखों BJP कार्यकर्ता देना जानते हैं.'


दरअसल डॉ. संजय जायसवाल का इशारा उन बातों को लेकर था, जिसे लेकर JDU के नेता लगातार BJP पर सवाल उठा रहे हैं. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात हो या जातिगत जनगणना की बात हो, JDU के नेता लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को टैग कर ट्वीट करते रहे हैं. इस बात को लेकर BJP आक्रामक हो गई है.


JDU की तरफ से जारी BJP पर पलटवार


BJP के प्रदेश अध्यक्ष जैसे-जैसे JDU पर हमलावर हो रहे हैं, जवाब में JDU भी पलटवार करने में देरी नहीं लगा रही है. JDU ने इस विवाद का ठीकरा सीधे तौर पर BJP पर फोड़ा है. JDU का कहना है कि 'सारे फसाद की जड़ में BJP प्रदेश अध्यक्ष हैं. जिस सरकार में BJP बराबर की भागीदार है, उसी सरकार पर सवाल उठाना कहां की समझदारी है? जिस शराबबंदी की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुले मंच से तारीफ की थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले को साहसिक कदम बताया था. उसी शराबबंदी पर BJP के प्रदेश अध्यक्ष रह-रहकर सवाल खड़े कर रहे हैं. इसके लिए BJP को विचार करने की जरूरत है.'


एक तरफ BJP और JDU वार-पलटवार में लगे हैं, तो विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया है. विपक्ष अब आक्रामक अंदाज में सरकार पर निशाना साध रहा है. विपक्ष का कहना है कि 'सरकार के दो बड़े घटक दल मार-काट में लगे हैं. ये दोनों दल सिर्फ कुर्सी के मोह में साथ हैं. बिहार की करोड़ों जनता को ये मूर्ख बना रहे हैं. जनता की उम्मीदों पर इन्होंने पानी फेर दिया है. जनता ने सोचा होगा कि सरकार बनेगी और उनके काम की बात होगी, विकास की बात होगी, रोज़गार की बात होगी. लेकिन ये सरकार अंतर्कलह में उलझी हुई है, और जनता के सारे मुद्दे हाशिए पर चले गए हैं.'


कई मुद्दों पर NDA के घटक दलों में तकरार


कुल मिलाकर देखें तो बिहार में NDA में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. या यूं कहें कि हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, तो शायद गलत नहीं होगा. अगर 'तीर' और 'कमल' की तकरार जल्द शांत नहीं हुई तो सरकार चलाना आसान नहीं होगा. दोनों दलों को ये समझने की जरूरत है कि इस बार की सरकार आसानी से नहीं बनी है. बल्कि दो छोटे दलों विकासशील इंसान पार्टी और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के सहयोग से NDA की सरकार बन पाई है. ऐसे में थोड़ी सी भी चूक सत्ता को NDA के हाथ से दूर कर सकती है.


दूसरी तरफ विपक्ष में RJD जैसा मजबूत दल है. जो विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से सबसे बड़ा दल है. वहीं कांग्रेस और वाम दलों को मिलाकर उनका आंकड़ा बहुमत से ज्यादा दूर नहीं है. अगर NDA से नाराज होकर एक भी घटक दल पाला बदलता है तो ये विपक्ष के लिए वरदान साबित होगा. अब देखना होगा कि BJP और JDU के नेताओं की बयानबाजी पर पार्टी नेतृत्व संज्ञान लेता है या नहीं. सबसे बड़ा सवाल यही है कि अंतर्कलह से सरकार आखिर कैसे निपटेगी?