नई दिल्ली : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपने पद से इस्तीफा देने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक होने वाली है. समझा जाता है कि संसदीय बोर्ड की बैठक में जद-यू को समर्थन देने के बारे में फैसला हो सकता है. नीतीश कुमार ने बुधवार शाम साढ़े छह बजे राजभवन में राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर इस्तीफा दे दिया.


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नीतीश कुमार बुधवार को जद-यू विधायक दल की बैठक के बाद राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मिलने पहुंचे. इस मुलाकात को लेकर मीडिया में नीतीश के इस्तीफे की अटकलें लगने लगीं जो बाद में सही साबित हुईं. उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की बेनामी संपत्ति मामले में जद-यू और राजद के बीच बनी तकरार नीतीश के इस्तीफे के रूप में सामने आई.


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सरकार बनाने के लिए चाहिए 122 विधायकों का  समर्थन


243 सीटों वाली बिहार की विधानसभा में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल को 80 सीटें मिलीं जबकि जनता दल यूनाइटेड को 71 सीटें मिलीं. कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी को 53 सीटें मिलीं. बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 122 सीटों का है. 


लालू यादव के पास आंकड़े नहीं


अब राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के सामने नई सरकार के गठन की चुनौती है. परंपरा के अनुसार उन्हें विधानसभा में सबसे बड़े दल राष्ट्रीय जनता दल को सरकार बनाने को बुलाना चाहिए लेकिन राज्यपाल इससे पहले आरजेडी से उसके समर्थक विधायकों की लिस्ट मांग सकते हैं. आंकड़े साफ हैं कि लालू की पार्टी के पास सरकार बनाने लायक विधायक नहीं हैं. उनके पास खुद की 80 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के 27 व अन्य एक-दो सीटें मिलाकर वे 122 के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच सकते. 


बिहार में सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार को 122 विधायकों का समर्थन चाहिए. महागठबंधन से राजद और कांग्रेस के हटने के बाद नीतीश के पास 71 विधायकों का समर्थन रह जाएगा. भाजपा के पास 53 विधायक, लोजपा के 2 और आरएलएसपी के 2 विधायकों को मिलाने पर विधायकों की संख्या 128 हो जाती है जो बहुमत से ज्यादा है. 


पिछले कुछ समय से जद-यू और भाजपा के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को अपना समर्थन देकर नीतीश ने भाजपा के साथ जाने का एक तरह से संकेत पहले ही दे दिया था.