पटनाः बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गुरूवार को गृह विभाग के बजट पर वाद-विवाद में सदस्यों ने अपनी बातें रखी और इसके बाद सरकार की ओर से जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में विधि व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर किये जा रहे उपाय गिनाए और आगे की कार्य योजना भी बताई. इस दरम्यान डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी भी मौजूद रहे. 


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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया की कुछ मामलो में अपराध का ग्राफ बढ़ा भी है और कुछ मामलों में इसमें कमी भी आई है. लेकिन साइबर क्राइम के मामले में राज्य में 200 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार का मकसद राज्य में विधि व्यवस्था को दुरुस्त कर कानून का राज कायम करना है लेकिन ये कोई दावा नहीं कर सकता कि अपराध खत्म कर देंगे, अपराध रोकने के प्रयास किए जा रहे है. संज्ञेय अपराध के मामले में जो मानक है उसमें बिहार का स्थान 22वें नम्बर पर है. हत्या के मामले स्थान देश के राज्यों में 17वां है जबकि डकैती में 15वां स्थान है बिहार का, और फिरौती के लिए अपहरण में बिहार का स्थान 23वां है. 


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुटकी लेते हुए कहा कि अखबार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ज्यादा आजकल सोशल मीडिया का चलन है और सोशल मीडिया क्या चला देगा, क्या दिखा देगा कहना मुश्किल है. अख़बार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सोशल मीडिया से प्रतियोगिता है. लिहाज़ा अख़बार और टीवी भी वैसी ही खबर लिख और दिखा रहे हैं. 


मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी सरकार निरंतर समीक्षा करती है और हम सकारात्मक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हम कोई दवा नहीं करते अपराध को लेकर, कुछ मामलों में आपराधिक घटना में बढ़ोतरी हुई है, जबकि कुछ मामलो में कमी भी आयी है. लेकिन हम कुछ छिपाते नहीं हैं, जो भी आंकड़े है वो सामने रख देते हैं. डकैती की घटना में राज्य में 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि सामान्य दंगा के मामले में थोड़ी कमी आयी है साथ ही फिरौती के लिए अपहरण के मामले में भी कमी आई है. राज्य में और शराबबंदी की वजह से भी अपराध की घटना में कमी आई है. नक्सली घटनाओं में राज्य में कमी आयी है, लेकिन हत्या के मामले बढ़ गए हैं. 


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि हत्या की घटना का सबसे बड़ा कारण भूमि विवाद और संपत्ति विवाद है. दो पक्षों के बीच में विवाद बढ़ रहा है. हत्या के मामले में जो तथ्य सामने आए हैं उसके अनुसार 60 मामला प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भूमि विवाद ही इसकी वजह है. आर्थिक स्थिति बेहतर होने से भी सोच में बदलाव आ रहा है. पूरे मामले में सिरे से सर्वे और सेटलमेंट का काम किया जा रहा है. जिससे भूमि विवाद की घटना को ख़त्म किया जा सके. और इसके लिए अब हर सप्ताह थाना प्रभारी और अंचलाधिकारी की बैठक करना अनिवार्य बना दिया गया है. जिससे इस तरह की घटना को रोका जा सके.


राज्य में लूट के मामले में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2019 में शुरू के पांच महीने में लूट की 860 घटनाएं हुई है. सुदूरवर्ती क्षेत्र में वित्तीय सुविधा बढ़ने के साथ बैंक, पोस्ट ऑफिस और दूसरे फाइनेंसियल इंस्टीटूशन के बढ़ने से भी लूट की घटना में बढ़ोतरी हुई है. चोरी की घटना में भी बढ़ोतरी हुई है. 2018 के शुरू के पांच महीने में 12182 चोरी की घटना हुई, जबकि इसी अवधि में 2019 में 14189 चोरी की घटना दर्ज की गयी. सामान्य अपहरण की घटना भी बढ़ी है.


अपराध नियंत्रण और अनुसंधान के लिए 15 अगस्त से राज्य में यह व्यवस्था की जा रही है कि थाना पर पचास फीसदी मैन पावर विधि व्यवस्था में लगाए जायेंगे, जबकि 50 फीसदी अनुसंधान में लगाए जायेंगे. जिससे काम बेहतर तरीके से हो सके. अब थाना में पदस्थापित थाना इंचार्ज के अधीन दो पद होंगे जिसमे एक विधि व्यवस्था और दूसरा अनुसंधान की जिम्मेदारी देखेंगे. थाना पर भी अब 3 नॉट 3 राइफल की जगह AK-47 और इंसास दिए जा रहे हैं. हर सप्ताह थाने के गतिविधियों की मॉनिटरिंग होगी. थाना में आगंतुकों के लिए एक आगंतुक कक्ष का निर्माण कराया जा रहा है. जिसमें पीने के पानी और इलेक्ट्रिक पंखा लगा होगा इसके लिए 24 करोड़ 20 लाख रुपये की मंजूरी भी दे दी गयी है. हर पुलिस स्टेशन में थाना प्रबंधक का पद बनाया जा रहा है.