Bihar: बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की फिर खुली पोल, नालंदा में शव के लिए नहीं मिली एंबुलेंस, ई-रिक्शा से पोस्टमार्टम के लिए भेजा
पुलिसवालों ने शव को ई-रिक्शा में ऐसे रखा गया था कि शव का सिर और उसके पैर बाहर निकले हुए थे. सदर अस्पताल से पोस्टमार्टम कराने के बाद राजगीर ले जाने के दौरानशव रास्ते में इधर-उधर से टकराता रहा.
Bihar Police: बिहार सरकार हमेशा बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा करती है. विभागीय मंत्री तेजस्वी यादव भी स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की बात करते हैं, लेकिन नालंदा की एक तस्वीर ने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है. यहां पुलिस को भी एक अज्ञात शव को पोस्टमार्टम हाउस तक भेजने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली. इसके बाद पुलिसवालों ने शव को ई-रिक्शा से बांधकर भेज दिया. ये मामला बीते सोमवार (10 जुलाई) का बताया जा रहा है. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
पुलिसवालों ने शव को ई-रिक्शा में ऐसे रखा गया था कि शव का सिर और उसके पैर बाहर निकले हुए थे. सदर अस्पताल से पोस्टमार्टम कराने के बाद राजगीर ले जाने के दौरानशव रास्ते में इधर-उधर से टकराता रहा. बताया गया कि सोमवार (10 जुलाई) को राजगीर रेल थाना अंतर्गत पंडितपुर गांव के पास किसी ट्रेन की चपेट में आने से एक अधेड़ की मौत हो गई थी. शव की पहचान नहीं हो सकी थी. उधर रेल पुलिस को एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण उसने ई-रिक्शा से शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा था.
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वहीं ई-रिक्शा के चालक ने बताया कि उसे कहा गया कि बिहारशरीफ सदर अस्पताल लेकर चले जाओ तो वह आ गया. इस दौरान ई-रिक्शा पर सवार एक जवान को इस बात का एहसास नहीं हुआ कि इस तरह शव को ले जाना अमानवीय है. अब इस संबंध में फोन पर रेल थाना प्रभारी रामचंद्र सिंह ने बताया कि शव को ई-रिक्शा पर लाना और ले जाना अमानवीय तरीके से एक अपराध है. किस कारण शव वाहन नहीं मिला या मांग नहीं की गई इसकी जांच होगी. यदि इस तरह की गलती की गई है तो जांच कर कार्रवाई होगी.