आरा: कोर्ट परिसर से मानव बम के सहारे भागने वाले बिहार के गैंगेस्टर की कहानी तो सबने सुनी होगी. पहली बार किसी गैंगेस्टर ने मानव बम का इस्तेमाल किया था, बात 2015 के 23 जनवरी की है. अदालत के परिसर में एक महिला एक झोला लेकर पहुंची और फिर वहां एक जबर्दस्त बम ब्लास्ट हुआ और उस और के परखच्चे हो गए. इस धमाके में एक सिपाही की भी जान चली गई और बता दें तब कोर्ट परिसर में एक कुख्यात अपराधी इसका फायदा उठाकर कोर्ट से भाग निकला. बता दें कि बिहार के उस कुख्यात अपराधी लंबू शर्मा को अदालत में दुबारा फांसी की सजा सुनाई. 


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बता दें कि वह बिहार के इस गैंगेस्टर लंबू शर्मा ने केवल 12 साल की उम्र में पहली हत्या की थी. बता दें कि आरा कोर्ट में हुए मानव बम धमाके के उसी मामले में कोर्ट ने गैंगस्टर लंबू शर्मा को दोबारा फांसी की सजा सुनाई है. इस मामले में अदालत ने पहले भी उसे मौत की सजा सुनाई थी. आरा की अदालत ने 2019 में उसे इसी मामले में फांसी की सजा सुनाई थी. इसके बाद पटना हाईकोर्ट में  उसने इस सजा के खिलाफ अपील की थी. तब पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत को इस केस पर दोबारा विचार करने के लिए कहा था. आरा की अदालत नें इस मामले में अपने पुराने फैसले को बरकरार रखा. 


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ये वही लंबू शर्मा है जिनके नाम यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी को मारने की 6 करोड़ की सुपारी लेने का भी मामला था और उसने इसे कबूल भी किया था. वह इतना खतरनाक अपराधी रहा है कि जेल से वह तीन बार भागने में सफल रहा. बिहार के भोजपुर जिले के पीरो का रहनेवाला लंबू शर्मा का नाम सच्चिदानंद शर्मा है. आरा की अदालत परिसर में धमाके के मामले में जहां लंबू शर्मा का नाम आया वहीं उसके साथ भागे अखिलेश उपाध्याय का भी नाम इसमें शामिल था. बता दें कि वहीं इसमें रिकू यादव, चांद मियां, नईम मियां, अंशु कुमार, प्रमोद सिंह और श्याम विनय शर्मा को भी जांच के दायरे में लाया गया. 


इस मामले में जहां लंबू शर्मा को फिर से अदालत नें फांसी की सजा सुनाई वहीं रिकू यादव, चांद मियां, नईम मियां, अंशु कुमार, प्रमोद सिंह और श्याम विनय शर्मा को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई.