मुजफ्फरपुरः Muzaffarpur Black Business of Blood: बिहार के मुजफ्फरपुर में काफी दिनों से चल रहे खून के काले कारोबार के बड़े नेटवर्क का पुलिस ने खुलासा किया है. पुलिस उत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल एसकेएमसीएच के ब्लड बैंक के कर्मियों की मिली भगत से प्रेमी युगल खून का काले कारोबार को चला रहा था और इस काले कारोबार का नेटवर्क को वाट्स एप ग्रुप के माध्यम से अंजाम देता था. पुलिस गिरफ्त मे आए खोटे खून के सौदागर प्रेमी युगल खून के काले कारोबार का खुलासा किया है. जिसके बाद दोनों प्रेमी युगल को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. गिरफ्तार प्रेमी युगल अलग-अलग थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं.


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वाट्सएप ग्रुप से होती थी डील
प्रेमिका की पहचान काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र मरड़ीपुर की मुस्कान परवीन और प्रेमी का पहचान नगर थाना क्षेत्र के चंदवारा हजाम टोली के मो. इमरान के रूप में हुई है. दोनों को पास से जब्त किए गए. मोबाइल में खून के काले कारोबार से जुड़े 200 से अधिक लोगों का नंबर सेव मिला हैं, जिनके नाम के आगे डोनर लिखा हुआ है. गिरफ्तार प्रेमी युगल का एक बड़ा नेटवर्क है. जिसका जाल उत्तर बिहार के कई जिलों में फैला है. दोनों से हुई पूछताछ में कई अहम खुलासे किए हैं और पुलिस दोनों प्रेमी युगल के पास से मिले मोबाइल फोन के नंबरों की जांच में जुटी हुई है. 


SKMCH में खून दिलाने की बात करते पुलिस ने दबोचा 
दरअसल पुलिस को सूचना मिली थी कि एसकेएमसीएच में एक गैंग है जो अवैध रूप से खून का कारोबार ब्लड बैंक के कर्मियों के सहयोग करता है. उसके बाद पुलिस ने एक यूवक और एक युवती को गिरफ्तार किया. जो गरीब लोगों से ढाई से तीन हजार रुपए में ब्लड खरीदता है और जरूरतमंदों से 10 से 15 हजार रुपए तक में खून बेचता है, जिसमें कई निजी अस्पताल के संचालक भी उससे जुड़े हुए हैं. ये लोग इतने शातिर है कि खून संग्रह करने वाले बैग की सप्लाई केवल वैध ब्लड बैंकों में ही होती है, यह बैग खोटे खून के सौदागरों के पास कैसे पहुंचते हैं. इसको लेकर पुलिस जांच पड़ताल कर रही है.


जरूरतमंद लोगों से 15 से 20 हजार बेचते देते थे खून
पूरे मामले पर सिटी एसपी अवधेश दीक्षित ने बताया कि खून के धंधे में शामिल युवती समेत दो लोगों को पकड़ा गया है. पुलिस पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है कि ये दोनों प्रेमी युगल गरीब लोगों को ढाई हजार से लेकर तीन हजार में रक्तदान कराकर उसके कार्ड को खरीद लेते थे. उसके बाद जरूरतमंद लोगों से 15 से 20 हजार बेचते देते थे. पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में दोनों ने शहर के आधा दर्जन से अधिक बड़े अस्पतालों के ब्लड बैंक का नाम बताया है, जिससे दोनों बीते चार सालों से खून की बिक्री कर रहे थे. इसके अलावा दोनों के जब्त मोबाइल से भी पुलिस को 200 से अधिक संदिग्ध नंबर मिले हैं. जिसकी जांच मे पुलिस की एक टीम जुट गई है और आगे की कार्रवाई कर रही है. पुलिस का मानना है कि इस गिरोह में इन दोनों के अलावा अन्य लोग भी शामिल हैं, जिसके संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है.
इनपुट - मणितोष कुमार


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