Jharia Burning Coalfields: 108 सालों से `जल` रहा झारखंड का ये शहर, अंगारों के उपर बसा है देश को रोशन करने वाला इलाका
Jharia Burning Coalfields: झारखंड के धनबाद जिले के झरिया का नाम आपने कभी न कभी जरुर सुना होगा. यहां से निकलने वाली काले सोने की चर्चा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है. भारत में पाए जाने वाले कोयले का सबसे उच्च कोटि का कोयला बिटुमिनस झरिया में ही पाया जाता है.
कायलांचल में आग
झरिया में धरती के नीचे आग लगने की जानकारी 1916 में हुई थी. तब इस आग को बुझाने का काफी प्रयास भी किया गया था लेकिन सारे प्रय़ास बेनतीजा साबित हुआ. जिसके बाद से ही यहां लगी आध धीरे धीरे फैलते जा रही है.
झरिया में आग कर लगी
साल 1916 में गलत माइनिंग से झरिया के कोयला खदानों में आग लग गई थी. साल 1916 में झरिया के भौरा कोलियरी में आग लगने का पहला प्रमाण मिला था. बताया जाता है कि झरिया व आसपास के खदानों में 45 प्रतिशत कोयला जमीन के अंदर ही रह गया.
कोयला खदान में आग
कहा जाता है कि एक तय समय में अगर कोयले को नहीं निकाला जाए तो वो स्वतः जल उठते हैं. साल 1986 में जब पहली बार झरिया में लगे आग का सर्वे कराया गया तो इसमें 17 किमी स्क्वायर क्षेत्र जमीनी आग से जलता हुआ मिला.
झरिया में आग
खदान में बचे 45 प्रतिशत कोयला समय पर नहीं निकालने कारण आग फैलता गया. माइंस के सुरंग के रास्ते आग को हवा मिली और ये फैलती गई.
झरिया में कोयले की खोज
बताया जाता है कि अंग्रेजों ने झरिया में वर्ष 1890 में कोयले की खोज की थी. जिसके बाद इसके आस पास धनबाद शहर बनता रहा. वहीं 1916 के बाद से ही ये शहर धधकते अंगारे पर जीने को मजबूर है.