Tundi Assembly Seat: टुंडी विधानसभा में बीजेपी नहीं जीती, क्या इस बार रच पाएगी इतिहास?
Tundi Assembly Seat: टुंडी विधानसभा सीट झारखंड राज्य के धनबाद जिले में स्थित है। यह सीट संथाल परगना क्षेत्र के अंतर्गत आती है और यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है, जहाँ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रभाव रहा है.
Tundi Assembly Seat: झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. इसी के साथ दूसरे चरण के नामांकन भी खत्म हो गए है. सभी पार्टियां चुनाव जीतने की तैयारी में लगी हुई है. इस बार झारखंड में दो चरण में मतदान होंगे. वहीं टुंडी विधानसभा सीट झारखंड राज्य के धनबाद जिले में स्थित है। यह सीट संथाल परगना क्षेत्र के अंतर्गत आती है और यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है, जहाँ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रभाव रहा है. टुंडी की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति इस क्षेत्र की जनजातीय संरचना, कृषि पर निर्भरता, और स्थानीय मुद्दों से प्रभावित होती है.
टुंडी विधानसभा क्षेत्र धनबाद जिले में स्थित है, जो मुख्यतः ग्रामीण और आदिवासी बहुल है. इस क्षेत्र की भौगोलिक संरचना में जंगल, पहाड़, और नदियाँ शामिल हैं, जो इसे प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करते हैं. टुंडी का एक बड़ा हिस्सा कृषि भूमि है, और यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि और ग्रामीण उद्योगों पर निर्भर है. टुंडी सीट पर मुख्य मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच होता आया है. यह सीट लंबे समय से झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ रही है, जो आदिवासी और स्थानीय समुदायों के बीच लोकप्रिय है. 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के मथुरा महतो ने भाजपा के उम्मीदवार को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी. जेएमएम की लोकप्रियता इस क्षेत्र में उसके आदिवासी हितैषी एजेंडे और स्थानीय मुद्दों को उठाने की वजह से है.
टुंडी की जनसंख्या मुख्यत आदिवासी समुदायों से बनी है, जिनमें संथाल, मुंडा, और अन्य आदिवासी समूह शामिल हैं. यहाँ पर अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्गों का भी योगदान है, जो समाजिक संरचना को विविध बनाते हैं. यहाँ के लोग मुख्य रूप से कृषि और वन उत्पादों पर निर्भर हैं, और आदिवासी संस्कृति और परंपराएँ यहाँ की जनजीवन में मुख्य भूमिका निभाती हैं. टुंडी में अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन सिंचाई की सुविधाओं का अभाव एक बड़ा मुद्दा है. लोग यहाँ की खेती को और अधिक उत्पादक बनाने के लिए सिंचाई की बेहतर व्यवस्था की मांग करते हैं. ग्रामीण इलाकों में सड़क, बिजली, और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. कई गाँवों में सड़कें कच्ची हैं, जिससे आवागमन में कठिनाई होती है. टुंडी में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है. ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और स्कूलों की स्थिति में सुधार की जरूरत है. टुंडी के आदिवासी समुदाय अपने पारंपरिक अधिकारों और भूमि सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं. वे चाहते हैं कि सरकार उनके अधिकारों का संरक्षण करे. रोजगार की कमी इस क्षेत्र में एक बड़ा मुद्दा है, और यहाँ के लोग चाहते हैं कि सरकार स्थानीय उद्योगों का विकास करे जिससे रोजगार के अवसर बढ़ सकें.
2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के मथुरा महतो ने भाजपा के उम्मीदवार को हराया. मथुरा महतो की जीत का एक कारण जेएमएम का आदिवासी समर्थक रुख और स्थानीय मुद्दों पर उनकी पकड़ मानी जाती है. पिछले चुनाव में जेएमएम ने विकास, आदिवासी अधिकार, और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया था, जिससे मतदाताओं का समर्थन प्राप्त हुआ. आगामी चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा और भाजपा के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है. क्षेत्रीय मुद्दे जैसे कृषि, आदिवासी अधिकार, रोजगार, और बुनियादी ढाँचा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
मथुरा महतो और जेएमएम के स्थानीय समर्थन के कारण इस सीट पर उनकी पकड़ मजबूत दिखती है, लेकिन भाजपा भी अपने विकास एजेंडे के साथ यहाँ के मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर सकती है.
टुंडी विधानसभा सीट झारखंड की राजनीति में आदिवासी अधिकारों, ग्रामीण विकास, और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों के कारण महत्वपूर्ण स्थान रखती है. यहाँ के लोगों की अपेक्षाएँ इस क्षेत्र की राजनीतिक स्थिरता और विकास में निर्णायक भूमिका निभाती हैं, और यह क्षेत्र आने वाले चुनावों में भी प्रमुख रहेगा.
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