दुमका में लीजिए में शिमला-श्रीनगर जैसा लुत्फ, पहाड़ पर बना इको कॉटेज, ये रही तस्वीरें
झारखंड सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार की पहल की वजह से दुमका में इको कॉटेज का निर्माण किया गया है. यहां न सिर्फ लोगों को रहने-खाने की सुविधा है बल्कि पहाड़ों के बीच पानी से भरे डैम के किनारे इको कॉटेज को स्थापित किया गया है.
सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया
झारखंड सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार की पहल की वजह से दुमका में इको कॉटेज का निर्माण किया गया है. यहां न सिर्फ लोगों को रहने-खाने की सुविधा है बल्कि पहाड़ों के बीच पानी से भरे डैम के किनारे इको कॉटेज को स्थापित किया गया है.
बेशकीमती लकड़ियों से निर्मित
दरअसल, दुमका वन विभाग के सहयोग से बेशकीमती लकड़ियों से निर्मित 16 कॉटेज मे से 11 लकड़ी के कॉटेज बनाए गए हैं. इसके अलावा पांच कॉटेट कंक्रीट से बनाए जा रहे हैं.
पहाड़ की सुंदरता को बनाए रखने की पूरी कोशिश की गई
इको कॉटेज का निर्माण करते हुए वन विभाग ने न केवल प्रदूषण का ख्याल रखा है बल्कि पेड़ों और जंगलों से सटे पहाड़ की सुंदरता को बनाए रखने की पूरी कोशिश की गई है. करीब सात करोड़ रुपये की लागत से निर्मित लकड़ियों से इन इको कॉटेज को बनाया गया है.
विभाग को सबसे अधिक परेशानी बारिश के समय हुई
इको कॉटेज को बनाने मे करीब दो साल का समय लगा है. हालांकि, पहाड़ों के बीच इको कॉटेज को बनाने में वन विभाग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. विभाग को सबसे अधिक परेशानी बारिश के समय हुई.
इको कॉटेज में एसी कमरा और अटैच्ड बाथरूम
विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 11 कॉटेज को विदेशी इंडोनेशियन पाइन लकड़ियों से बनाया गया है, जिसे बनाने वक्त प्रदूषण का ख्याल रखा गया है. इस इको कॉटेज में एसी कमरा और अटैच्ड बाथरूम है. यहां आने वाले पर्यटक डैम का आनंद ले पाएंगे.
तीन कमरों वाला पांच कॉटेज
अधिकारी ने कहा कि इसके अलावे तीन कमरों वाला पांच कॉटेज सीमेंट कंक्रीट से बनाया जा रहा है. यहां सैलानियों के खाने-पीने के लिए एक रेस्टोरेंट भी उपलब्ध है.
मसानजोर डैम आज भी पश्चिम बंगाल के अधीन
गौरतलब है कि 1951 में बना झारखंड का मसानजोर डैम आज भी पश्चिम बंगाल के अधीन है. बंगाल सरकार इस डैम की देखरेख करती है और यहां बंगाल के अधिकारियों और सैलानियों के लिए अपने गेस्ट हाउस भी बनाए गए हैं.
इनपुट: आईएएनएस