Radha Mohan Singh: `बीहड़ता में राह बनाता, राही मचल-मचल चलता है...`, कुछ ऐसा ही है BJP सांसद राधामोहन सिंह का जीवन
Radha Mohan Singh News: 1989 में पूर्वी चंपारण से पहली बार सांसद बने थे और तब से 7 बार विजयश्री हासिल कर चुके हैं. साल 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी तो उन्हें कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
Radha Mohan Singh Special: बिहार की पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट पर एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी का 'कमल' खिलाने वाले राधामोहन सिंह मौजूदा समय में बीजेपी के काफी सीनियर लीडर्स में से एक हैं. बिहार में बीजेपी को मजबूत करने में उनकी अहम हिस्सेदारी रही है. वो भी जनसंघ के जमाने से. वर्तमान समय में वह बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. उनके राजनीतिक जीवन को अगर देखेंगे तो कहना पड़ेगा 'बीहड़ता में राह बनाता, राही मचल-मचल चलता है.' 01 सितंबर 1949 को पूर्वी चंपारण जिले के नरहा में जन्मे राधामोहन सिंह ने काफी छोटी उम्र में ही RSS ज्वाइन कर ली थी और यहीं से समाजसेवा करने की नींव पड़ गई थी.
'दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी, जीवन भर अविचल चलता है'
राधामोहन सिंह को 1967-68 में एबीवीपी के मोतिहारी जिले के नगर प्रमुख की जिम्मेदारी मिल गई थी. 1969 में जनसंघ से जुड़ गए और तुरंत ही मंडल मंत्री का भार सौंपा गया, जिसका उन्होंने सफलता पूर्वक निर्वहन किया. छात्र जीवन से ही वह समाज के लिए आवाज उठाने का काम करने लगे थे. 1971 में बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह किया और दिल्ली की तिहाड़ जेल तक जेल यात्रा निकाली. 1974 में अटल बिहारी बाजपेयी की मोतिहारी में गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन किया और मोतिहारी जेल तक जेल यात्रा निकाली. आपातकाल के दौरान भी कई महीनों तक जेल में रहे.
ये भी पढ़ें- बिहार में बढ़ने लगा निवेशकों का विश्वास, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर-मंत्री नीतीश मिश्रा
'सफल-विफल और आस-निराशा, इसकी ओर कहां जिज्ञासा!
बीहड़ता में राह बनाता, राही मचल-मचल चलता है!!'
जनसंघ हो या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), संगठन को आगे बढ़ाने में राधामोहन सिंह का उल्लेखनीय योगदान है. राजनीतिक सफर की शुरुआत 1980 से जनसंघ से हुई थी. 1989 में पूर्वी चंपारण से पहली बार सांसद बने थे. विद्यार्थी परिषद, जनसंघ के कार्यकर्ता से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरु करने वाले राधामोहन सिंह बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, केंद्रीय कैबिनेट में कृषि व सहकारिता मंत्री और राष्ट्रीय संगठन में उपाध्यक्ष जैसे पदों पर विराजमान रहे. राजनीतिक करियर का निर्णायक क्षण मई 2014 में उस समय आया, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें अपनी पहली कैबिनेट में कृषि और किसान कल्याण मंत्री के रूप में नियुक्त किया.
ये भी पढ़ें- 'बांग्लादेश जैसी स्थिति भारत में होगी', सलमान खुर्शीद पर बरस पड़े शाहनवाज हुसैन
'किसान पुत्र' ने किसानों का दर्द समझा
एक किसान का बेटा होने के चलते राधामोहन सिंह को किसानों का दर्द सबसे ज्यादा समझ में आया और उन्होंने उसे दूर करने के लिए अतुल्यनीय कार्य किए. कृषि और ग्रामीण क्षेत्र की गहरी परख होने के कारण राधा मोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में कई ऐसे फैसले लिए जो कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित हुए. कृषि क्षेत्र में खेती की लागत को घटाने और उपज को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए उन्होंने व्यापक नीति तैयार की. इसके अलावा कृषि क्षेत्र को व्यापक बनाने के लिए खेती में बाड़ी को जोड़ा, जिससे बागवानी, पशुधन, डेयरी और मत्स्य जैसे उद्यम भी खेती किसानी की परिधि में आए. इससे किसानों की वित्तीय सेहत में सुधार हुआ.
ये भी पढ़ें- वक्फ बोर्ड बिल को लेकर भड़के चिराग पासवान, कहा- विपक्ष भ्रम फैला रहा
किसानों के कल्याण के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री के बीज से बाजार तक की श्रृंखला को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की, जहां भारतीय कृषि फल-फूल सके और किसानों की मेहनत को उचित सम्मान मिले. इसके अलावा नवीन उपायों के माध्यम से खेती-किसानी में आने वाली चुनौतियों का समाधान किया जा सके. उनके कार्यों को देखते हुए ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि राधा मोहन सिंह गरीबों एवं पिछड़े लोगों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और ये देश के किसानों को सशक्त बनाने में पूर्ण विश्वास रखते हैं. इनकी स्पष्ट सोच है कि देश को यदि मजबूत बनाना है तो गांव और किसान को मजबूत बनाना होगा.