रांची: झारखंड में पंचायत चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है. सरकार जहां चुनाव का विकल्प तलाश रही है, वहीं मुखिया संघ ने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए झारखंड के राज्यपाल से दखल देने की मांग की है. राज्यपाल ने भी सरकार को पंचायत चुनाव को लेकर पत्र लिखने का भरोसा दिया है, जिसको लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच बयानबाजी तेज हो गई है.


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बार-बार झारखंड की सरकार से पंचायत चुनाव की गुहार लगा चुके मुखिया संघ ने अब राज्यपाल से मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है. मुखिया संघ के सचिव रितेश कच्छप का कहना है कि सरकार से हम चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं, पर सरकार की मंशा साफ नहीं है. इसलिए हम लोगों ने राज्यपाल के पास गुहार लगायी थी कि पंचायत चुनाव समय पर हो. 


अगर समय पर चुनाव नहीं कराए जाते हैं तो मध्यप्रदेश की तर्ज पर झारखंड में भी पंचायत का कार्यकाल बढ़ाया जाए. इधर राज्यपाल ने भी सरकार को पंचायत चुनाव को लेकर पत्र लिखने का भरोसा दिया है.  


वहीं, झारखंड में पंचायत चुनाव को लेकर पंचायती राज्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि बहुत जल्द हमलोग चुनाव करा लेंगे. जब तक चुनाव नहीं होता है वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पंचायत चलेगी. मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि हमारा ही राज्य नहीं बहुत ऐसे राज्य जो समय पर चुनाव नहीं करवा पाए हैं वहां वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है. 


पंचायती राज अधिनियम के तहत समय पर चुनाव नहीं होता है तो नियम के तहत डिजॉल्व होता है, उसके बाद वैकल्पिक व्यवस्था के तहत चलाया जाता है. एक समिति से संचालन होता है. वहीं झारखंड सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था की बात को सत्ता में शामिल दल जेएमएम ने भी कानूनी बाध्यता को देखते हुए बेहतर विकल्प की तलाश करने का समर्थन किया है. 


जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि राज्यपाल भी पत्र लिखने की बात करती हैं पर उससे पहले से सरकार के संज्ञान में है.


एक ओर जेएमएम सरकार के विकल्प का समर्थन कर रही है तो वहीं विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इस स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताताया है. झारखंड बीजेपी के नेता शिवपूजन पाठक ने कहा कि राज्य में जहां सरकार को पहल करना चाहिए ,वहां राज्यपाल चिठ्ठी लिख रहीं हैं. बीजेपी ने कई बार सरकार को आगाह किया है.


जाहिर है, पंचायत का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. ऐसे में पंचायतों के पुनर्गठन तक वैकल्पिक व्यवस्था की मांग मुखिया संघ ने की है, ऐसे में त्रिस्तरीय चुनाव के विकल्प पर कब तक सहमति बनती है, देखने वाली बात होगी.