पटना: क्या आप बिना जोते खेत में धान और गेहूं की फसल बो सकते हैं? पहली प्रतिक्रिया में शायद आपका उत्तर न में होगा, लेकिन अब ये संभव है. कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीकि विकसित की है, जिसमें धान काटने के बाद बिना खेत जोते सीधे गेहूं बोया जा सकता है. बिहार में जलवायु के मुताबिक खेती की शुरुआत करते समय इसका प्रदर्शन किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी शुरुआत की और कहा कि अभी आठ जिलों के 40 गावों में प्रयोग किया जा रहा है. सफल रहा, तो पूरे प्रदेश में इसे लागू करेंगे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जल-जीवन-हरियाली अभियान को बिहार सरकार हर क्षेत्र में लागू कर रही है. अब मौसम के मुताबिक खेती कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है, जिसमें कम लागत पर अच्छी उपज का दावा किया गया है. सरकार ने 60 करोड़ के फंड से आठ जिलों के 40 गांवों में इसकी शुरुआत की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभियान पर प्रसन्नता जाहिर की और कहा कि इसमें सफलता जरूर मिलेगी.


बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया, डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर और आईसीईआर पूर्वी क्षेत्र पटना के सहयोग से खेती की शुरुआत हुई है. जिन जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, उनमें मधुबनी, खगड़िया, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नवादा, गया और नालंदा शामिल हैं. इसके आलावा हर जिले के कृष विज्ञान केंद्र पर एक एकड़ में खेती होगी.


मुख्यमंत्री ने बोरलॉग इंस्टीट्यूट और आईसीईआर के केंद्र को लेकर अपनी पीड़ा भी व्यक्त की और कहा कि दोनों संस्थानों ने बड़े केंद्र हम बिहार में बनाना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. वहीं, डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने अभियान की सराहना की और कहा कि बिहार आपदा प्रभावित राज्य है, जिससे राज्य सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा पीड़ितों को मदद देने में चला जाता है.


जलवायु परिवर्तन को लेकर बिहार सरकार ने जिस तरह से 36 महीने का समयबद्ध अभियान शुरू किया है. उसकी प्रशंसा देश ही नहीं विदेशों तक में हो रही है. विश्व के सबसे धनी व्यक्ति बिल गेट्स ने इसकी प्रशंसा की है और मिलिंडा-गेट्स फाउंडेशन की ओर से बिहार को मदद का भरोसा भी दिया है.