सुपौल: बिहार के सुपौल में गार्ड ऑफ आर्नर के दौरान 22 रायफल से गोलियां नहीं चलीं. अब मामले ने तूल पकड लिया है. पूर्व आईपीएस रामचन्द्र खां ने हालात पर चिंता जतायी है. पूर्व आईपीएस ने कहा है कि जब सेरीमोनियल फायरिंग में इस्तेमाल होने वाली गोलीयां ही फायर नहीं हो रही तो असली का क्या हाल होगा. इधर जी मीडिया की पडताल में ये चौकाने वाले खुलासे हुए हैं जिन रायफलों को पब्लिक की सुरक्षा मे लगाया गया है उनका इस्तेमाल पिछली बार कब हुआ था ये खुद रायफल रखनेवाले जवानों को भी नहीं पता है.


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सुपौल में पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा की अंत्येष्टि के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर में हुई मिस्टेक का मामला विवादों में आ गया है  गार्ड ऑफ आनर के दौरान 22 रायफलों से गोलियां नहीं चलीं.गोलियां क्यों नहीं चलीं इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. लेकिन गोलियां क्यों नहीं चलीं इसकी हकीकत भी दिलचस्प है.जी मीडिया की पडताल में थ्री नट थ्री रायफल, गोली और गोली चलानेवालों को लेकर कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं.


 



फेल हुई फायरिंग की जानकारी लेने जब हमने पूर्व आईपीएस रहे रामचन्द्र खां से संपर्क किया तो उन्होंने काफी हद तक इस सवाल का जवाब दे दिया.रामचन्द्र खां ने बताया कि पुलिस को दो तरह के कारतूस उपलब्ध कराये जाते हैं.एक आरिजनल कारतूस होता है और दूसरा सेरीमोनियल फंक्सन में इस्तेमाल होनेवाला नकली कारतूस.सेरीमोनियल में इस्तेमाल होने वाला कारतूस दिखता तो असली की ही तरह है लेकिन ये जानलेवा नहीं होता है इसका इस्तेमाल सिर्फ आवाज के लिए किया जाता है.ऐसे में अगर सेरिमोनियल कारतूस ही फायर नहीं हो पा रहा है तो ये चिंता की बात है.हो सकता है थ्री नट थ्री रायफल का ये कारतूस 22 साल पुराना हो या फिर आजादी के बाद से ही रखा चला आ रहा हो.गोलियों को इस्तेमाल में लाने के लिए उसका रख रखाव भी बेहद जरुरी होता है.जिसकी घोर लापरवाही देखने को मिल रही है


पूर्व आईपीएस ने थ्री नट थ्री रायफल को कठघरे में खडा करने से इन्कार किया है.रामचन्द्र खां ने कहा कि थ्री नट थ्री रायफल सेकेंड वर्लड वार के समय का अच्छा हथियार है.इसकी सबसे खासबात इसका लो मेंटेंनेंस और लगभग एक किलोमीटर तक मारक क्षमता है.ये बात अलग है कि मेंटेंनेंस सही से नहीं होने के कारण परेशानी हो सकती है.लेकिन हथियार में कोई परेशानी नहीं है.रायफल से कार्टिरेज फायर नहीं हो सकी तो इसमें दोष गोली की है


अब थ्री नट थ्री रायफल और उसे इस्तेमाल करनेवालों की जमीनी हकीकत को जानिये.जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे.जी मीडिया की टीम ने थ्री नट थ्री रायफल के साथ सुरक्षा में लगे ऐसे ही जवानों से जब रायफल को लेकर बातचीत की तो चौकानेवाले तथ्य सामने आए.पूछताछ के दौरान रायफल लिये कई जवानों ने हमारी टीम को ये बताया कि उन्होंने पीछली बार रायफल से कब गोली चलायी थी ये उन्हें मालूम ही नहीं.तो कुछ जवान ने 1984 में रायफल से गोली चलाने की भी बात कही.यहां तक कि जवानों के हाथों में रखे रायफल पर जंग भी साफ नजर आये.ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जिन हाथों ने 35 साल से गोलियां नहीं चलायीं.जिन हथियारों से 35 सालों से गोलियां नहीं चलीं  एके 47 के जमाने में बिहार में ऐसे हथियारों के सहारे सुरक्षा व्यवस्था की कवायद को कितना सही ठहराया जाए