रांची: झारखंड में आधी आबादी का पूरा विकास करने के साथ साथ उनके हक और अधिकार के प्रति सरकार की सोच का असर होता दिख रहा है. आज जहां उन्हें अधिकार मिल रहा है वहीं वो खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं. गढ़वा का महिला थाना युवतियों और महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. 


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तो वहीं टूटकर बिखरने की कगार पर आ चुके रिश्तों को भी बचाने का काम कर रहा है. साल 2017 में 181 और इस साल सौ से अधिक पारिवारिक समझौते महिला थाना की मदद से हुए हैं. महिला थाने में ज्यादातर मामले पारिवारिक झगड़े के आते हैं जिसे निपटाने के लिए दोनों परिवारों को थाने में बुलाकर आमने-सामने बिठाकर उनका समस्या सुनी जाती है और फिर उसका समाधान निकाला जाता है. 


स्थानीय निवासी का कहना है कि आज यहां पर महिला थाना खुलने से महिलाओं को ये सुविधा मिल रही है कि उनका घर किसी भी छोटी-छोटी बातों पर टूट जाया करता था. आज वो सब नहीं हो रहा है. उनमें एक खुशी की लहर दौड़ी है कि हमें भी न्याय मिलेगा. हमारे हक के लिए अच्छे काम हो रहें हैं. महिलाएं उम्मीद लगाई हैं कि हम भी थाना जाएंगे खुलकर अपनी बात रख सकेंगे. न्याय की आस में बहुत दिन से बैठी थी कि काश महिला थाना खुलता और आज खुल गया है. तो वे काफी खुश हैं. 


 



गढ़वा महिला थाना प्रभारी प्रशिला पूर्ति का कहना है कि घर को बिखरने से बचाया है, अब तक महिला थाना में 23 केस हुए हैं. 23 में से बहुत से डिसपोजल भी कर दिए हैं. मैं यही चाहती हूं महिला थाना प्रभारी यही चाहते हैं कि घरों को बिखरने से बचाया जाए. 


महिला थाना में प्रतिदिन प्रताड़ना और दहेज मांग की शिकायत आती है. कई मामलों में सुलहनामा हो जाता है और कई मामलों में केस दर्ज कर कार्रवाई की जाती है. पूर्ति ने आगे बताया कि घरेलू मेटर को यहां हम सुलझाते हैं, समस्या को सुलझाते हैं, पति-पत्नी को अलग नहीं करते, परिवार जोड़ते हैं. पति-पत्नी को समय देते हैं. फिर पता करते हैं कि दोनों कैसे रह रहे हैं. परिवार जोड़ने का काम करते हैं. रघुवर सरकार आधी आबादी को पूरा हक दिलाने के मकसद से काम कर रही है जिससे महिलाओं में सुरक्षा का भावना बढ़ी है और वो अपने हक के लिए जागरूक भी हो रही है. 


(Exclusive Feature)