Mahabodhi Temple Cracks: बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर की संरचना में दरारें, संकट में विरासत

Mahabodhi Temple Cracks: महाबोधि मंदिर न केवल बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण स्थल है, बल्कि यह भारत की गौरवशाली विरासत का प्रतीक भी है. इसे बचाना हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जिम्मेदारी है.

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बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक धरोहर

महाबोधि मंदिर बोधगया में स्थित वह स्थान है, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. यह मंदिर न केवल बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख स्थल है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है. इसे 2002 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया था.

 

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धरोहर को खतरा

मंदिर के कई हिस्सों में दरारें आ चुकी हैं. भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं के आसपास और दीवारों में स्पष्ट दरारें देखी जा सकती हैं. यहां तक कि लोहे की छड़ें भी उभर आई हैं, जो इसकी संरचनात्मक स्थिति पर सवाल खड़े करती हैं. यह स्थिति इस महत्वपूर्ण धरोहर को खतरे में डाल रही है.

 

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प्रबंधन की उदासीनता

महाबोधि मंदिर की देखरेख का जिम्मा बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमिटी (बीटीएमसी) के पास है. हालांकि, मंदिर की वर्तमान हालत यह संकेत देती है कि प्रबंधन इन समस्याओं से अनजान या लापरवाह है. मरम्मत और संरक्षण के कार्यों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

 

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श्रद्धालुओं की चिंता

मंदिर में बढ़ती दरारों और देखभाल की कमी ने बौद्ध श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को चिंतित कर दिया है. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का स्थल है.

 

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यूनेस्को की भूमिका और संरक्षण की जरूरत

महाबोधि मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित करना इसका महत्व दर्शाता है. ऐसे में इसकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए जिम्मेदार एजेंसियों को सक्रिय होना चाहिए. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को गाइडलाइंस के तहत तत्काल मरम्मत कार्य शुरू करना चाहिए.

 

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महाबोधि वृक्ष की देखभाल

मंदिर परिसर में स्थित महाबोधि वृक्ष, जिसे भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से जोड़ा जाता है, विशेष देखभाल की मांग करता है. इसे देहरादून स्थित एफआरआई के वैज्ञानिकों की निगरानी में रखा जा रहा है. हालांकि, पूरे परिसर की सुरक्षा के लिए समग्र योजना की आवश्यकता है.

 

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पर्यटन पर असर

मंदिर की बिगड़ती स्थिति का असर पर्यटन पर भी पड़ सकता है. हर साल लाखों पर्यटक और श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर की उपेक्षा से पर्यटकों की संख्या में गिरावट आ सकती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी.

 

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धरोहर बचाने का समय

महाबोधि मंदिर की दरारें और उसकी अनदेखी भारत की सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक चेतावनी है. बीटीएमसी और संबंधित एजेंसियों को मिलकर इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे. मंदिर की मरम्मत और नियमित देखभाल सुनिश्चित करके इसे सुरक्षित रखा जा सकता है.

 

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