Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष पर गया आने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है, पहले ले लें यहां से जानकारी!
29 सितंबर से इस बार श्राद्ध शुरू हो रहा है जो 14 अक्टूबर तक चलेगा. इस दौरान अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पितरों के तर्पण और पिंडदान की प्रक्रिया पवित्र नदियों के किनारे की जाएगी.
Pitru Paksha 2023: 29 सितंबर से इस बार श्राद्ध शुरू हो रहा है जो 14 अक्टूबर तक चलेगा. इस दौरान अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पितरों के तर्पण और पिंडदान की प्रक्रिया पवित्र नदियों के किनारे की जाएगी. बिहार की तीर्थ नगरी गया में हर साल की तरह इस साल भी पितृपक्ष मेले का आयोजन 28 अक्टूबर से किया जाएगा. आपको बता दें कि गया आने में असमर्थ लोगों के लिए इस बार ऑनलाइन पिंडदान की भी व्यवस्था की गई है. इसके लिए बिहार सरकार की तरफ से शुल्क भी डिसाइड कर दिया गया है.
आपको बता दें की पितृपक्ष के दौरान पितरों की मुक्ति के लिए जल और तिल से तर्पण के साथ ही चावल के पिंड से पिंडदान और साथ ही अन्य कर्मकांडों को भी किया जाता है. गया में 54 जगहों पर पिंडदान कराया जाता है. ऐसे में अलग-अलग तिथि को यहां आए लोग पिंडदान अलग-अलग जगहों पर करते हैं. ऐसे में यहां प्रेतशिला, रामशिला, देव घाट, अक्षयवट, गोदावरी, पितामहेश्वर, विष्णुपद, सीता कुंड सहित 54 वेदियों पर पिंडदान और तर्पण के स्थान निर्धारित हैं.
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ऐसे में यहां आनेवाले यात्रियों को परेशानी ना हो इसके लिए स्थानीय प्रशासन भी मुस्तैद है. बता दें यहां सीताकुंड, देवघाट पर प्याऊ की व्यवस्था की गई है तो वहीं विष्णुपद मंदिर के गेट के बाहर गंगाजल को पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई है. साथ ही यहां जिला प्रशासन के द्वारा टेंट सिटी का निर्माण किया गया है जिसमें 2500 तीर्थयात्रियों के रूकने की क्षमता है. इन सबको भी गंगाजल पाइपलाइन के जरिए उपलब्ध हो सकेगा. यहां कई और जगहों पर इसी तरह की व्यवस्था जिला प्रशासन के द्वारा की गई है जिसमें बड़ी संख्या में लोग रूक पाएंगे.
यहां मेले के दौरान सुरक्षा के भी पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं. मेले के दौरान 6 हजार से ज्यादा पुलिस के जवानों को ड्यूटी पर लगाया गया है. इसके साथ ही होटल और रेस्टहाउस को भी इंगित किया गया है जिसकी संख्या 63 है जिसमें 4000 के करीब यात्रा रूक सकेंगे. वहीं वहां के स्थानीय पंडा और अन्य धर्मशाला में भी यात्रियों के रूकने की व्यवस्था होगी. ऐसे में चिन्हित स्थानों की संख्या 500 के करीब है जिसमें 61 हजार के करीब तीर्थयात्री ठहर सकेंगे.