पटना: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र कोरोना जैसे संक्रमण को देखते हुए चार दिनों का छोटा सत्र बुलाया गया है. 3 अगस्त से 6 अगस्त तक यानी चार दिनों की इस सत्र में पहला दिन शोक प्रकट का है. जिनका भी इस वर्ष स्वर्गवास हो गया है उनके लिए ही रखा गया है. बाकी बचे 3 दिनों में तारांकित प्रश्न अल्पसूचित प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर सरकार देती है.


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वही बिहार को कोरोना का संक्रमण लाखों लोगों में है. कईयों की जान भी चली गई है. स्वाथ्य सेवा का बुरा हाल है तो बाढ़ से लोग बेहाल हैं, लेकिन स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन विभाग से विधायक इस सत्र में सवाल नहीं कर सकते हैं. वही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार पर निशाना साधा है. 


तेजस्वी यादव ने कहा कि इस विपदा की घड़ी में इस संकट की घड़ी में सबसे ज्वलंत मुद्दे हैं, जिससे बिहार प्रभावित है. वह दो विभाग का है. पहला स्वास्थ्य विभाग का जिसमें कोविड कोरोना को लेकर सभी लोग जानना चाहते हैं कि क्या व्यवस्था है और क्या तैयारी है. 


दूसरा आपदा विभाग को लेकर है जिस तरह से बाढ़ आई है और बांध टूट रहे हैं, इस आपदा में पीड़ितों के लिए सरकार क्या कर रही है? यही ज्वलंत मुद्दे आज बिहार के हैं और हमें उम्मीद थी कि इसको इस सत्र में रखा जाएगा लेकिन इन विषयों से कोई भी जनप्रतिनिधि सरकार से सवाल नहीं पूछ सकते हैं. क्योंकि इस सत्र में इन विषयों को रखा ही नहीं गया है.


उन्होंने कहा कि विधानसभा की जो चिट्ठी आई है, उसमें आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग को छोड़ दिया गया है. सरकार बताए आपदा और स्वास्थ्य विभाग को क्यों हटाया गया है. अगर सरकार की तैयारी है तो सरकार भाग क्यों रही है. जवाब क्यों नहीं दे रही है. 


कोरोना से बिहार पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है और सिस्टम से सवाल ही नहीं पूछा जा सकता, यह बहुत बड़ा अन्याय है.  सरकार क्या कर रही है. मुख्यमंत्री 130 दिन से गायब हैं और अब स्वास्थ्य विभाग और आपदा प्रबंधन को ही गायब कर दिया गया है. 


तेजस्वी ने कहा कि मेरा आरोप यह है कि जो आपदा और स्वास्थ्य विभाग है, उसे शामिल किया जाए. ताकि जनप्रतिनिधि सरकार से सवाल पूछें. सरकार जनप्रतिनिधि के सवालों से भाग क्यों रही है.