Bihar News: केके पाठक को जब बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग में तैनात किया, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि अब राज्य में बदलाव होगा. वहीं, जब केके पाठक ने अपने लिए गए फैसलों से शिक्षा विभाग में बदलाव लाना शुरू किया, तब लोगों को भरोसा. बिहर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विश्वास भी कायम रखा. इस बीच केके पाठक की तरफ से शिक्षा विभाग में बदलाव के लिए कड़े और सख्त फैसले लिए गए. इन फैसलों की वजह से बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बहुत सुधार हुआ. इस ऑर्टिकल में हम केके पाठक के 10 फैसलों के बारे में जानेंगे, जिनकी वजह से बड़े सुधार हुए.


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1. स्कूल से गायब रहने वाले शिक्षकों पर केके पाठक ने कड़ा एक्शन लिया. उन्होंने एक आदेश जारी किया और कहा कि जो  शिक्षक स्कूल से गायब रहेगा, उसके वेतन से कटौती की जाएगी. इस आदेश के बाद ऐसा हो गया है कि अगर कोई शिक्षक बिना कोई वजह बताए स्कूल से लापता होता है तो उसका वेतन कटता है. इतना ही नहीं शिक्षा विभाग की तरफ से नोटिस भी जारी होता है.
 
2. बिहार में कहा जाता था कि पहले शिक्षक अपना जुवाड़ लगाकर अपनी पसंद वाली जगह पोस्टिंग करवा लेते थे. केके पाठक ने ऐसे शिक्षकों के ट्रांसफर और प्रतिनियुक्ति पर रोक लगाकर बड़ा काम किया.


3. बीपीएससी के जरिए राज्य में नए टीचर्स की भर्ती हुई है. इन शिक्षकों को केके पाठक ने कहा कि नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों को पहले गांव में पढ़ाना होगा, जो गांव में पढ़ाना नहीं चाहते, वह नौकरी छोड़ सकते हैं.


4. स्कूलों के विकास के लिए बिहार शिक्षा विभाग हर साल करोड़ों रुपए जारी करता है. इन पैसों का कई स्कूल सही से इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसको लेकर केके पाठक ने आदेश जारी किया कि विद्यालयों में छात्र कोष और विकास कोष में जमा 1200 करोड़ रुपए खर्च कर पाते हैं, तो इन पैसों को वापस सरकारी खजाने में जमा करना होगा.


5. केके पाठक का एक और फैसला, जिसने शिक्षकों में हड़कंप मचा कर दिया था. अब केके पाठक ने शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती कर दी है. इससे पहले राज्य के स्कूलों में पर्व पर 23 अवकाश मिलते थे. अब काटकर 11 कर दिया गया.


6.  केके पाठक ने सरकारी स्कूलों में कई दिनों तक गायब रहने वाले छात्रों पर भी एक्शन लिया. उन्होंने स्कूल में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए एक नियम बनाया. जिसके तहत अगर अब 15 दिन से ज्यादा बच्चा अनुपस्थित रहता है तो उसका नाम काट दिया जाएगा.


7. केके पाठक ने बिहार के सरकारी स्कूलों में 75 प्रतिशत मौजूदगी अनिवार्य का नियम बना दिया. केके पाठक के इस फैसले का असर स्कूलों में दिखाई देने लगा. अब छात्रों की उपस्थिति बढ़ने लगी है.


8. केके पाठक ने पढ़ने में कमोजर छात्र के लिए एक मिशन की शुरुआत की. इसका नाम बिहार में मिशन दक्ष दिया. इसके तहत 10000 सरकारी शिक्षक को 50000 छात्रों को अतिरिक्त पढ़ाने के लिए गोद लेना है. बिहार में मिशन दक्ष अभियान में 10वीं और 12वीं के सभी टीचर्स को भी शामिल किया गया है.


9. मोतिहारी जिले के एक स्कूल में जब बच्चों के जमीन पर बैठकर पढ़ने की सूचना केके पाठक को मिली, तो उन्होंने बहुत बड़ा एक्शन लिया. साथ ही स्कूल के प्रिंसिपल को फटकार लगाई थी. केके पाठक ने आदेश दिया था कि बच्चों के लिए जल्दी से बेंच और डेस्क की व्यवस्था की जाए.


10. स्कूल में निरीक्षण के दौरान अगर शौचालय नहीं मिलता तो केके पाठक नाराज जो जाते और तुरंत शौचालय बनवाने का निर्देश देते हैं. इतना ही नहीं अगर किसी स्कूल में गंदगी मिलती थी तो साफ-साफई के लिए आदेश जारी करते थे.


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