मुंगेर: बिहार के मुंगेर के सदर प्रखंड के तौफीर में 30 दिसंबर को हुए भीषण आग में 37 परिवारों का सब कुछ जलकर खाक हो गया. लोगों का कहना है कि आगलगी की इस घटना में लोगों के पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं बचे है. सरकार इनकी मदद के लिए सामने जरूर आई है लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरे जैसा है.


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आग लगने के बाद हुए नुकसान से दुखी महिलाएं अपने आंसुओं को नहीं रोक पा रही हैं. जिला प्रशासन ने इन परिवारों के लिए कुछ राहत सामग्री उपलब्ध करवाई है पर ये इनके लिए पर्याप्त नहीं है. इंटर के छात्रों का कहना है कि परीक्षा में महज दो महीने बचे हैं और सभी किताबें जलकर राख हो चुकी हैं. 


अब ये परीक्षार्थी कैसी परीक्षा की तैयारी करें इन्हें समझ नहीं आ रहा है. उनका कहना है कि पैसे भी नहीं बचे हैं कि नई किताबें खरीदी जा सके. आग लगने के बाद कुछ संस्थाएं मदद के लिए जरूर आगे आई हैं लेकिन इनकी मदद भी उनके लिए कम पड़ रही है. 
 इन लोगों के पास  रहने के लिए इंदिरा आवास भी नहीं है और फूस का घर होने के कारण आग लगने का डर हमेशा बना रहता है. अब देखना यह है कि मदद की आस लगाए इन लोगों का दुख कब सरकार को दिखता है.