Patna: बिजली विनियामक आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिहार में बिजली की दर सरकार की सब्सिडी पर तय होगी. यहीं नहीं, आयोग बिजली कंपनियों के बेफजूल खर्च पर शिकंजा कस रहा है. राज्य सरकार सब्सिडी अधिक देंगी तो उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिलेगी. हालांकि, आयोग के चेयरमैन शिशिर सिन्हा ने कहा है कि अभी बिजली दर निर्धारण पर फैसला नहीं हुआ है. वहीं, बिहार में ग्रिड कंपनी लिमिटेड बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड एवं पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की एक ज्वांइट वेंचर कंपनी है. इस कंपनी को आयोग ने 21 जून 2013 को बिजली देने का लाइसेंस दिया था. यह कंपनी बिजलीकरण के बुनियादी ढांचे के निर्माण में शामिल है.


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बता दें कि Bihar Grid Company ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 275.45 करोड़ वास्तविक खर्च का दावा किया था, जिसके बाद आयोग ने 257.47 करोड़ रूपए स्वीकृत करते हुए 75.74 करोड़ रूपये का अतिरिक्त राजस्व (Revenue Surplus) निर्धारित किया है, जिसे कैरिंग कॉस्ट (Carrying Cost) के साथ वित्तीय वर्ष 2021-22 की सकल राजस्व की आवश्यकता में सम्मिलित किया जा रहा है.


इधर, वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए ग्रिड कंपनी लिमिटेड ने 429.17 करोड़ रूपए को पुनिरिक्षित वार्षिक राजस्व की आवश्यकता होने का आकलन किया है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2018-19 के रेवन्यू सरप्लस (Revenue Surplus) एवं 2017 -18 के टी. ए. एफ इंसेंटिव को सम्मिलित नहीं किया है. आयोग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में वर्ष 2018- 19 के रेवन्यू सरप्लस (Revenue Surplus) एवं 2017 -18 के टी.ए. एफ इंसेंटिव को सम्मिलित करते हुए पुनरीक्षित वार्षिक राजस्व 328.97 करोड़ रूपए स्वीकृत किए हैं.


बिहार ग्रिड कंपनी द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 533.51 करोड़ रूपए के सकल वार्षिक राजस्व की आवश्यकता का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जिसके विरुद्ध आयोग ने जांच के बाद वित्तीय वर्ष 2019-20 के कैरिंग कॉस्ट (Carrying cost) के साथ 89.09 रेवन्यू सरप्लस (Revenue Surplus) राशि को समायोजित करते हुए 452.62 करोड़ रूपए स्वीकृत किए हैं.


पूर्व IAS शिशिर सिन्हा ने कहा कि 'आयोग ने अनुमोदित 452.62 करोड़ सकल वार्षिक राजस्व की आवश्यकता की राशि को बराबर मासिक किस्तों में अर्थात 37.72 करोड़ प्रतिमाह की दर से बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड से वसूली का अनुमोदन किया है.'