हर साल की तरह इस साल भी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा. इसकी तैयारियां अभी से ही शुरू हो गई हैं. यह तो आपको पता ही होगा कि रोजाना योगासन करने से आपको मन और चित्त दोनों प्रसन्न रहते हैं. एक अलग सी ताजगी का अहसास होता है. योग से जुड़े आसन को योगासन कहते हैं. आसन एक मुद्रा है और हम अनगिनत मुद्राएं कर सकते हैं. कुछ आसन योग, आसन और योगासन के रूप में जाने जाते हैं. योग का मतलब जो आपको उच्च बोध की ओर ले जाए. योगासन का मतलब वह मुद्रा, जो आपको उच्च संभावना की तरफ ले जाती है, उसे योगासन कहते हैं. 


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आसन के बारे में कुछ और जान लेते हैं. दरअसल, आप खुद से महसूस कीजिए. जब आप खुश रहते हैं तो अलग तरीके से मुद्रा में रहते हैं और जब दुखी रहते हैं तो आपकी मुद्रा अपने आप अलग दिखने लगती है. जब आप शांत होते हैं तो वो भी अलग तरह की मुद्रा हो जाती है और गुस्से वाली मुद्रा को क्या कहें. कई बार आपके जानने वाले आपके बैठने के तरीके के बारे में बता सकते हैं कि आप खुश हैं या दुखी और गुस्से में हैं या खुश. 


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अगर आप किसी आराम कुर्सी पर बैठते हैं तो मांसपेशियों को राहत मिलती है और आपके जोड़ खिंचते हैं. जब आप प्लेन में आराम से बैठते हैं तो मंजिल पर पहुंचने से पहले थक जाते हैं. वहीं सीधा बैठने पर ऐसा नहीं होता. पीछे झुककर बैठते हैं तो आपकी मांसपेशियां आराम की मुद्रा में आ जाती हैं लेकिन हड्डियों पर काफी दबाव पड़ता है. 


योगासन का क्रम मानव शरीर की संरचना के हिसाब से बनाया गया है. योगासन के जरिए हमें शरीर को एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक सक्रिय करना पड़ता है. अगर हम किसी एक खास हिस्सें को सक्रिय करेंगे तो बिखराव आ जाएगा. अगर आप परंपरागत योगासन करते हैं तो हालात आपको अस्त-व्यस्त नहीं कर पाएंगी. योग हमारे शरीर में संपूर्णता पैदा करता है. इसलिए योग करने का क्रम अपनी पसंद से नहीं, मानव शरीर की संरचना के हिसाब से तय किया जाना चाहिए.