नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections 2020) के परिणाम के रुझानों से यह स्पष्ट हो गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में अन्य राज्यों के क्षेत्रीय दलों के लिए कोई जगह नहीं है. कुल मिलाकर दिल्ली विधानसभा में 10 क्षेत्रीय दलों ने हिस्सा लिया और इनमें से एक भी दल कुल वोट शेयर का एक प्रतिशत भी नहीं हासिल नहीं कर सका.


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दस क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), जनता दल यूनइटेड (JDU), मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), राष्ट्रीय लोक दल (RLD), शिव सेना (SS) और ऑल इंडिया फॉरवार्ड ब्लॉक (AIFB) ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाग लिया था.


चुनाव आयोग के अनुसार, इनमें से सिर्फ दो दलों- बहुजन समाज पार्टी और जनता दल यूनाइटेड को नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प से ज्यादा वोट शेयर मिला. कुल आठ क्षेत्रीय दलों का वोट शेयर नोटा की तुलना में बहुत कम वोट मिला.


अब तक के रुझानों के अनुसार नोटा को 0.47 प्रतिशत वोट मिला है. वहीं, एलजेपी का 0.37 प्रतिशत और एनसीपी का 0.03 प्रतिशत वोट शेयर रहा. दिल्ली में जहां केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलनों और प्रदर्शनों के दौरान वाम दलों ने भारी उपस्थिति दर्ज कराई, वहीं मतदान के मामले में इसे बहुत कम वोट मिला.


राष्ट्रीय राजधानी में बिहार की भारी आबादी होने के बावजूद लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की अगुआई वाली आरजेडी का सिर्फ 0.03 प्रतिशत वोट शेयर रहा. इस बीच शिवसेना को 0.12 प्रतिशत वोट शेयर रहा. वहीं, आरएलडी का वोट शेयर 0.0 प्रतिशत रहा.


(इनपुट-आईएएनएस)