Bagha: सोहन लाल दि्वेदी की कविता की ये पंक्तियां तो शायद आपने भी सुनी होगी कि 'लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती'. हिम्मत की एक ऐसी ही अद्भुत मिसाल बगहा की अफसाना ने पेश की है. दरअसल, अफसाना जिले के चौतरवा थाना के मेहंदी गांव की रहने वाली गरीब परिवार की लड़की है.अफसाना का परिवार किसान है और खेती-बाड़ी के साथ पशुपालन उसके घर का पेशा है. पशुओं के लिए खेत से चारा काटकर लाने की जिम्मेदारी अफसाना के कंधे पर है. रोज की तरह अफसाना खेत पर पशुओं के लिए चारा काटने गयी थी. उसे कहां पता था कि एक हादसा उसका इंतजार कर रहा है. अफसाना जब घास काट रही थी, तभी धारदार हसुआ गलती से उसकी एक आंख के नीचे जा लगा. इतना ही नहीं, हसुआ धंस भी गया.


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दर्द से परेशान, फिर भी नहीं हारी हिम्मत
इस हादसे के साथ ही अफसाना अथाह दर्द से कराह उठी. लेकिन, उसने इस मुश्किल घड़ी में भी हिम्मत नहीं हारी. उसने बहादुरी से इस मुसीबत से लड़ने का फैसला किया और भागकर घर पहुंची. परिजनों ने अफसाना की एक आंख के नीचे जब हसुआ फंसा हुआ देखा तो उनकी जान भी हलक में आ गयी. परिवार वाले परेशान हो गए, लेकिन अफसाना का हौसला बरकरार था. उसे तत्काल उसी गंभीर हालत में बगहा अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाया गया. वहां मौजूद डॉक्टर विनय कुमार और उनके सहयोगी पंकज भी कुछ देर के लिए परेशान हो गए. चार घंटे तक अफसाना की आंख में हसुआ फंसा रहा, फिर भी उसके हौसले को देखकर डॉक्टर हैरान थे.


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सफलता से निकाला हसुआ, बच गयी रोशनी
आंख जैसी नाजुक जगह से हसुए को बाहर निकालना काफी मुश्किल काम था. इतना ही नहीं, जरा सी गलती पर आंख की रोशनी जाने का भी डर था. लेकिन अस्पताल के डॉक्टरों ने चुनौती को स्वीकार किया और तत्परता दिखाते हुए अफसाना के आंख से हसुआ निकालने का अभियान शुरू हुआ. कुछ देर में आंख से हसुआ निकालने में डॉक्टरों ने सफलता हासिल कर ली. इतना ही नहीं, आंख की रोशनी को भी कोई नुकसान नहीं होने दिया. लेकिन, इस घटना के बारे में जिसने भी सुना, उसे सुखद आश्चर्च हुआ क्योंकि आंख जैसी नाजुक जगह में हसुआ धंसने के बावजूद उसे सफलतापूर्वक बाहर निकाल लेना, किसी हैरत से कम नहीं. अभी हर तरफ अफसाना के हौसले और डॉक्टरों की सफल कोशिश की तारीफ हो रही है.


(इनपुट-धनंजय द्विवेदी)