Cow Dung: गाय के गोबर से महिलाएं बनेंगी आत्मनिर्भर! बनेंगे आभूषण
Cow Dung: सोने और चांदी के आभूषण तो आपने कई बार देखा और पहना होगा, लेकिन क्या आपने कभी गोबर से बनने वाले आभूषणों के बारे में सोचा है. अगर नहीं तो ये खबर आपके लिए है. वैसे तो गाय हमारे लिए काफी उपयोगी मानी जाती है.
बोकारो:Cow Dung: सोने और चांदी के आभूषण तो आपने कई बार देखा और पहना होगा, लेकिन क्या आपने कभी गोबर से बनने वाले आभूषणों के बारे में सोचा है. अगर नहीं तो ये खबर आपके लिए है. वैसे तो गाय हमारे लिए काफी उपयोगी मानी जाती है. गाय के दूध से बनने वाले कई सारे प्रोडक्ट्स जैसे- दही, घी, मक्खन, पनीर इत्यादी का इस्तेमाल हम अपने जीवन में करते हैं. वहीं गाय के गोबर का हम इंधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या गोबर का इस्तेमाल इसके अलावा किसी अन्य कामों में भी किया जा सकता है? क्या गोबर से आत्मनिर्भर बना जा सकता है? इन बातों पर शायद ही किसी का ध्यान गया हो. मगर ऐसी कलाकृति गोबर से अपने जीवन की उपयोगिता को जोड़कर एक महिला ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है.
दरअसल, मूलरूप से बिहार के समस्तीपुर जिला की रहने वाली महिला प्रेमलता ने गाय की उपयोगिता को प्रेरणा मानकर लोगों तक एक संदेश पहुंचाने का काम किया है. उन्होंने डेरी प्रोडक्ट से लेकर गोबर तक की उपयोगिता को जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. प्रेमलता लगभग 30 वर्षों से अलग-अलग राज्यों व छोटे-छोटे गांव, कस्बों में जाकर वहां की महिलाओं और बेरोजगार लोगों को गोबर की उपयोगिता के बारे में बताती है. उस गोबर का उपयोग कर और अपनी कला लोगों को दिखा कर उन्हें आत्म निर्भर होने की ओर प्रेरित भी करती है.
गोबर से बनाए 2000 प्रोडक्ट
प्रेमलता ने गोबर से कई सारे चीजों को बनाकर पर्यावरण के दृष्टिकोण से ऑर्गेनिक और हाइजीनिक वस्तुओं को लोगों के घरों तक पहुंचाने व इससे जुड़े लोगों को रोजगार के रूप में भी जोड़कर देखती है. उनका कहना है कि उन्होंने गोबर से अब तक लगभग 2000 आइटम बनाए हैं. जिसमें ज्वेलरी से लेकर घर में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं, पूजा हवन की जरूरत की चीजें धूप, अगरबत्ती, घर में साज-सज्जा के लिए मूर्तियां, गोबर की ईटें, चप्पल ,घड़ियां ,खिलौने, कान की बाली, गले का हार, हाथ के चूड़ी कंगन ,हेयर क्लिप से लेकर कई सारे आइटम शामिल है.
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प्रेमलता ने अपनी कला से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है. उन्होंने अब तक कई राज्यों में जाकर महिलाओं और बेरोजगार लोगों को इसकी फ्री ऑफ कॉस्ट ट्रेनिंग दिया है. जिससे जुड़कर कई महिलाएं आत्मनिर्भर भी बन रही है. गोबर से बनाए वस्तुओं को बेचकर इसे आमदनी का जरिया भी बनाया जा सकता है. प्रेमलता का कहना है कि जो महिलाएं गोबर से बने प्रोडक्ट को खुद सेल ना करके मुझे देती है तो उसे खरीद कर मैं एग्जीबिशन में सेल कर देती हूं. जिससे अच्छा खासा मुनाफा होता है. ज्यादातर एग्जिबिशन के दौरान विदेशी सैलानियों को गोबर से बने सामान पसंद आते हैं और इसे खरीद कर वो अपने साथ अपने देश लेकर जाते हैं. मैं चाहती हूं कि इसका प्रचार प्रसार और जोर से हो ताकि गांव कस्बों में रहने वाली महिलाएं भी इस रोजगार से जुड़ सकें और गाय की उपयोगिता को लोग समझें. कई लोग जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसकी देखभाल नहीं करते और उसे आवारा छोड़ देते हैं जबकि उसके गोबर के इस्तेमाल से गाय के संरक्षण को और बढ़ावा मिलेगा. प्रेमलता इन दिनों झारखंड के बोकारो जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में घूम घूम कर कैंप भी लगाती है और लोग गोबर से बने वस्तुओं की तथा उनकी कला की सराहना भी करते हैं कई क्षेत्रों में सामाजिक और बुद्धिजीवी लोगों ने इसके लिए इन्हें सम्मानित भी किया है.