रांची : Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में जारी सियासा उठापटक के बीच राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बीते बुधवार की रात उन्होंने फेसबुक लाइव  के जरिए अपना इस्तीफा दिया. उद्धव ठाकरे ने ये फैसला तब लिया जब सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से मना कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा हम फ्लोर टेस्ट पर रोक नहीं लगा रहे, नोटिस जारी कर रहे हैं, जो भी परिणाम होगा वह हमारे अंतिम फैसले से बंधा होगा. इस मामले पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी. 


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राजा के बेटे के दिन लदे
महाराष्ट्र जारी सियासी घमासान के बीत झारखंड बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने बड़ा दियान दिया.  बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ,"महाराष्ट्र में जिस तरीक़े से उद्धव ठाकरे सरकार का पतन हुआ उससे यह साबित हो गया है कि लोकतंत्र में किसी राजनैतिक पार्टी को पूर्वजों की विरासत बनाकर राजशाही हुकूमत की तरह मनमाने तरीक़े से बहुत दिनों तक नहीं चलाया जा सकता. राजा का बेटा राजा,पोता के राजकुमार बनने के दिन लद रहे हैं" बता दें कि बाबूलाल मरांडी ने इससे पहले भी उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए शिवसेना को ''पारिवारिक सेना पार्टी'' बताया था. उन्होंने कहा था कि वो दिन दूर नहीं जब बाला साहेब वाली ''पारिवारिक सेना पार्टी'' में सिर्फ़ उद्धव जी और उनके पुत्र ही रह जाएंगे.''



हेमंत सोरेन पर निशाना


बाबूलाल मरांडी ने उद्धव ठाकरे को दिए इस संदेश से झारखंड के मुख्‍यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी प्रमुख हेमंत सोरेन को भी सीधी नसीहत दी है. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उद्धव ठाकरे का इस्‍तीफा हमें लोकतंत्र का पाठ पढ़ा रहा है. परिवारवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टियों के मनमानी नहीं बहुत दिनों तक नहीं चल सकती. उन्‍होंने कहा कि राजा का बेटा ही राजा अब बनेगा ऐसा अब नहीं होने वाला.


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बता दें कि उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र की सियासत की पूरी तस्वीर बदल गई है. उद्धव के इस्तीफे के बाद बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी का साफ हो गया है. बता दें  288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत के लिए  145 विधायकों की जरूरत होती है. बीजेपी के पास अभी 105 सीटें हैं. शिवसेना से बागी हुए के विधायकों के समर्थन से महाराष्ट्र में  बीजेपी एक बार फिर से सरकार बना सकती है.