रांची: Presidential Election 2022: भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार चुना गया है. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं. वह ओडिशा की रहने वाली हैं और आदिवासी समुदाय से आती हैं. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली एकमात्र राज्यपाल रही है. जिन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है. हालांकि द्रोपदी मुर्मू पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी राज्यपाल पद पर बनी रही. उनका कार्यकाल 17 मई 2021 को समाप्त हो गया. 


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द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षक के रूप में काम किया है. वह पार्षद और फिर विधायक बनी. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की तरह द्रौपदी मुर्मू लंबे समय से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हैं और लंबे समय तक विधायक और मंत्री रही हैं. उन्होंने ओडिशा सरकार के परिवहन और वाणिज्य विभागों को संभाला है, और 2007 में विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार जीता है. मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल भी रहीं. उनका राज्यपाल का कार्यकाल 6 साल एक माह 18 दिन का रहा था.


1997 से शुरू हुआ राजनीतिक करियर
द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1997 से हुई थी. सबसे पहले वह ओडिशा के रायरंगपुर अधिसूचित क्षेत्र से काउंसलर चुनी गई थी. फिर थोड़े वक्त बाद वह उसकी वाइस चेयरपर्सन बन गई थी. द्रौपदी मुर्मू के काम से खुश होकर बीजेपी ने उसी साल उन्हें ओडिशा अनसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया था. बाद में इसकी अध्यक्ष बन गई थी और फिर साल 2013 में पार्टी ने उन्हें एसटी मोर्चा का राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य नियुक्त किया था. 


बहुत गरीब परिवार से रखती है ताल्लुक 
वहीं बता दें कि ओडिशा में बीजेडी और बीजेपी गठबंधन सरकार के दौरान द्रौपदी मुर्मू 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य और ट्रांसपोर्ट और फिर बाद में मत्स्य और पशुपालन संसाधन विभाग में मंत्री का दायित्व भी संभाल चुकी हैं. जब केंद्र में 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी तो उस वक्त 2015 में उनकी झारखंड की पहली महिला और आदिवासी गवर्नर के तौर पर ताजपोशी हुई. यानी उनके पास एक लंबा प्रशासनिक अनुभव है. बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली मुर्मू ओडिशा के एक बहुत ही पिछड़े जिले से आती हैं. बावजूद पढ़ाई के प्रति उनकी ललक ऐसी थी कि उन्होंने अपना शिक्षा पूर्ण की. 


निजी जीवन त्रासदी भरा
उन्हें 2013 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था. मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ और दंपती के तीन संतान, दो बेटे और एक बेटी हुईं. मुर्मू का जीवन व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा रहा है क्योंकि उन्होंने अपने पति और दोनो बेटों को खो दिया है. उनकी बेटी इतिश्री का विवाह गणेश हेम्ब्रम से हुआ है.


हमेशा आदिवासियों और बालिकाओं के हित के लिए तत्पर
द्रौपदी मुर्मू हमेशा झारखंड के राज्यपाल के रूप में आदिवासियों और बालिकाओं के हित के लिए तत्पर रही है. कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकारों के निर्णयों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया. विश्वविद्यालयों की चांसलर के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने अपने कार्यकाल के दौरान चांसलर पोर्टल पर सभी विश्वविद्यालयों के कॉलेजों के लिए एक साथ ऑनलाइन नामांकन भी शुरू कराया. विश्वविद्यालयों में उनका यह नया प्रयास था, जिसका लाभ विद्यार्थियों को काफी मिला. उन्होंने कई विधेयकों को लौटाने का निर्णय भी लिया. छात्राओं से रुबरु होते हुए उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया. बाद में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को आवश्यक निर्देश देते हुए उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया.


अगर द्रौपदी मुर्मू जीतती हैं तो देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी
आपको बता दें कि वहीं विपक्ष की तरफ से इससे पहले यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाने की घोषणा की गई थी. जिसके बाद NDA की तरफ से की गई घोषणा के बाद यह चुनाव दिलचस्प हो गया है. अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए 18 जुलाई को मतदान होना अब तय माना जा रहा है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया जारी है. 29 जून नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है. अगर मुर्मू चुनाव जीतती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी. 


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