Trikut Parvat: जहां हुआ रोपवे हादसा, यहीं था रावण का हेलीपैड, जानिए इसके बारे में सबकुछ
Trikut Parvat Deoghar Jharkhand: द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक झारखंड में बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर देवघर शहर में स्थित है. यहां से 13 किलोमीटर की दूरी पर देवघर-दुमका रोड पर त्रिकुट पर्वत स्थित है.
देवघरः Trikut Parvat Deoghar Jharkhand: झारखंड के देवघर में हुए एक हादसे ने पूरे देश को दहलाकर रख दिया. झारखंड के एकमात्र रोपवे साइट पर हुआ यह हादसा ऐसा कि इसने रेस्क्यू के दौरान 3 जिंदगियां लील ली. एनडीआरएफ और सेना की टीम मिलकर इस हादसे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहीं है. यहां से अबतक 34 लोगों को सकुशल निकाला जा चुका है. हादसे की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें अभी भी ट्रॉली पर 13 लोग फंसे हुए हैं और सोमवार की रात में रेस्क्यू ऑपरेशन अंधेरे के कारण रोक दिया गया है. फंसे लोगों तक ड्रोन के माध्यम से खाने की चीजें और पानी पहुंचाया जा रहा है. इस घटना की सूचना जहां तक पहुंची लोगों की सांसें अटक गई.
कहां है त्रिकुट पर्वत और क्या है इसकी महत्ता
द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक झारखंड में बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर देवघर शहर में स्थित है. यहां से 13 किलोमीटर की दूरी पर देवघर-दुमका रोड पर त्रिकुट पर्वत स्थित है. इस पर्वत के एक तरफ बाबा वैद्यनाथ बसते हैं तो दूसरी तरफ थोड़ी दूरी पर दुमका की तरफ नागनाथ बाबा बासुकीनाथ का मंदिर है. यहां इस पर्वत के तीन शिखर हैं जिसे ब्राह्मा, विष्णु और महेश के मुकुट के तौर पर जाना जाता है, साथ ही दो छोटे पर्वत शिखर गणेश और कार्तिक के नाम से जाने जाते हैं. इसलिए इसे त्रिकुट पर्वत के नाम से ख्याति प्राप्त है.
रावण के पुष्पक विमान का था यहां हेलीपैड
पौराणिक कथाओं की मानें तो त्रेता युग में जटायू और लंकापति रावण के बीच मां सीता का हरण कर ले जाते समय यहीं युद्ध हुआ था. इसके साथ ही एक कहानी यह भी है कि यहां रावण अपने पुष्पक विमान से आता था और यहीं वन में तपस्या करता और अपने विमान को यहीं रखता था.
तीन में से 2 चोटी ही है ट्रेकिंग के लिए सुरक्षित
त्रिकुट पर्वत घने जंगलों से आच्छादित बेहद मनोरम स्थान है. जहां प्रसिद्ध त्रिकुटाचल महादेव मंदिर और ऋषि दयानंद का आश्रम स्थित है. इसकी तीन में से दो चोटियों पर ही लोग पहुंचते हैं क्योंकि तीसरी चोटी पर ढलान ज्यादा होने के कारण यह ट्रेकिंग के लिए असुरक्षित है. 2400 फीट से ज्यादा ऊंचाई वाली इसकी सबसे ऊंची चोटी के शीर्ष पर जाने के लिए यहां रोपवे बनाया गया है. इसी रोपवे में यह हादसा हुआ है. यह एशिया के सबसे ऊंचे रोपवे में से एक है. इस रोपवे की लंबाई 2 हजार 512 फीट होने के साथ यहां एक साथ 26 ट्रॉलियां आती जाती रहती हैं और सिर्फ 8 मिनट में यह रोमांचक सफर पूरा हो जाता है और लोग पर्वत के शिखर तक पहुंच जाते हैं.
विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर भी है यहां
एशिया के सबसे ऊंचे रोपवे वाले इस त्रिकुट पर्वत पर विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर भी मौजूद है, जिसे देखने के लिए लोग यहां आते हैं. आपको बताते चलें कि इसे 'विष्णु टॉप' के नाम से जाना जाता है. यह पत्थर सिर्फ दो कोण पर टिका है और दोनों के बीच 14 इंच का फासला है. इसके बारे में यह मान्यता है कि इसके बीच से पार होकर निकल जानेवाले के सारे ग्रह कट जाते हैं. यहां हाथी की आकृति का एक चट्टान और शेष नाग की आकृति का एक पत्थर भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. इस हाथी पहाड़ वाली चट्टान की ऊंचाई 40 फिट से ज्यादा है.
बाबा त्रिकुटेश्वर नाथ भी विराजते हैं यहां
त्रिकुट पर्वत के नीचे बाबा त्रिकुटेश्वर नाथ विराजते हैं. इस महादेव के बारे में कथा है कि इसे रावण ने स्थापित किया था. यहां के लोगों की मानें तो माता सीता ने यहां दीप जलाए थे जो अभी भी यहां है और लोग इसे देखने दूर-दूर से यहां आते हैं.
यहां देखने लायक जगहें
त्रिकुट पर्वत पर देखने लायक जगहों में हनुमान छाती, सीता दीप, रावण के पुष्पक विमान का हेलीपैड, अंधेरी गुफा, सुसाइड प्वाइंट, शालीग्राम शिला और गणेश पर्वत हैं. इसके अलावा पेड़ पौधों की हरियाली आपका मन मोहने के लिए काफी है. यहां आपको बहते कई झरने भी देखने को मिल जाएंगे. बरसात के मौसम में यहां का दृश्य काफी मनोहारी होता है.