छपरा: बिहार के छपरा का खालिसपुर प्राथमिक विद्यालय व्यवस्था की मार झेल रहा है. यहां बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. बच्चों के लिए न तो क्लास रूम की व्यवस्था है और न ही बैठने की. स्कूल मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर है. इसके बावजूद मासूम शिक्षा लेने के लिए हर दिन स्कूल आते हैं. करीब ढाई वर्षों से यह स्कूल बदहाली के कगार पर है. खुले आसमान के नीचे लगभग 150 से अधिक बच्चे हर दिन पढ़ने आते हैं.


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प्राथमिक विद्यालय होने के नाते कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. कक्षा एक और दो के छोटे बच्चे पीपल के पुराने पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठते हैं. वहीं, कक्षा- तीन, चार और पांच के विद्यार्थी घर से प्लास्टिक का बोरी लेकर आते हैं, जिसे बिछाकर खुले आसमान के नीचे बैठते हैं.


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परेशानी तब होती है, जब बारिश होती है. बारिश होते ही बच्चे इधर-उधर भागते हुए स्कूल परिसर से सीधे घर पहुंचते हैं. स्कूल में एक प्रधानाध्यापक और प्रतिनियोजित शिक्षिका हैं, जो सभी बच्चों को एक साथ बिठाकर पढ़ाती हैं. इन दो शिक्षकों के भरोसे ही 157 बच्चे हैं. 


कहने को इस विद्यालय के अपने पुराने भवन के साथ ही चमचमाता किचन भवन भी है. लेकिन भवन जर्जर होने के कारण स्कूल भवन में ही रसोई चलती है. किचन  में ताला लगा रहता है. यहां के प्रधानध्यापक से जब इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने सफाई देते हुए बताया कि भवन में बिजली और पंखे भी लगे हैं, लेकिन भवन जर्जर हो चुका है. इसीलिए बच्चों को बाहर पढ़ाया जाता है. पूर्व बीईओ जब निरीक्षण के दौरान आए, उन्हें भी समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ.


-- Jyoti, News Desk