मुंबई: झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 (Jharkhand assembly election result 2019) का रिजल्ट आने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि जनता ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी बीजेपी को सत्ता से दूर रखने का निर्णय लिया है. पवार ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था संकट में आ गई है, मंदी दिन ब दिन बढ़ रही है. इन सभी चीजों के वजह से भी लोगों ने बीजेपी को नकार दिया है. 


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नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के चलते देश के कुछ गुटों में धार्मिक अंतर बढ़ाने की कोशिश की गई. दिल्ली में प्रधानमंत्री ने भाषण में कहा कि NRC पर हमने कोई चर्चा नहीं की. वहीं देश के गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में स्पष्ट रूप से इसपर बयान दिया है. इसके पहले माननीय राष्ट्रपति ने भी अपने अभिभाषण में NRC को देशभर में लागू करने की बात कही है. दोनों सदनों में गृहमंत्री ने इसपर बयान दिया है. इसके कारण अनेक राज्यों के शहरों में लोग परेशान हैं.


पवार ने कहा कि झारखंड में कांग्रेस और उनके गठबंधन को बहुमत मिलता नजर आ रहा है. बीजेपी ने कहा था कि उनकी जीत होगी, लेकिन जनता ने उनको जवाब दिया है. इसके पहले छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी बीजेपी की बहुमत थी जो अब नहीं है.


एनसपी प्रमुख ने कहा कि झारखंड की स्थिति अन्य राज्यों से अलग है. आदिवासी बहुल है, गरीबी बहुत है. ऐसे में financial state and government power का इस्तेमाल कर बीजेपी सत्ता को अपनी ओर करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके लिए झारखंड के जनता का धन्यवाद. देश एक नए रास्ते में जा रहा है. पवार ने कहा कि हमने भी झारखंड में 5-6 जगहों पर अपने प्रत्याशियों को उतारा था, हमारे प्रत्याशी तो नहीं जीते हैं, लेकिन जनता ने बीजेपी के खिलाफ विचारधारा को अपना समर्थन दिया है.


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पवार ने कहा, 'ऐसा महसूस किया जा रहा है कि ये कानून देश के सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ सकते हैं, जोकि एक धर्म विशेष को निशाना बनाते हैं. सरकार ने अस्थिरता का माहौल बना दिया है.' पवार ने कहा, 'इसे देखते हुए ही एनसीपी ने संसद में सीएए के खिलाफ मतदान किया. बुद्धिजीवी और साहित्यकार इसका विरोध कर रहे हैं. कम से कम आठ राज्यों ने घोषणा की है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे.'


उन्होंने कहा, 'ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्यों के बीच जानबूझकर दरार पैदा की जा रही है. देश एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. इन सभी के माध्यम से आर्थिक संकट से ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है.


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