पटना : बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए रविवार को हुई मतगणना के अनुसार जेडीयू महागठबंधन को स्‍पष्‍ट बहुमत मिलता दिख रहा है। वहीं बीजेपी को इस चुनाव में करारा झटका लगा है और हार की ओर अग्रसर है। इस चुनाव में बीजेपी की ओर से उठाए गए कुछ मुद्दे पार्टी पर भारी पड़ गए। आइये जानते हैं वो प्रमुख कारण जिसके चलते बीजेपी को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।


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-संघ प्रमुख मोहन भागवत की ओर से दिए गए आरक्षण के बयान को लेकर मतदाताओं में उलझन। भागवत ने चुनावों के दौरान कहा था कि आरक्षण की पुर्नसमीक्षा होनी चाहिए। हालांकि पीएम मोदी ने अपनी चुनावी रैली में आरक्षण के बचाव में जमकर आश्वासन दिया। फिर भी बीजेपी का यह दांव उलटा पड़ गया। इसके चलते महादलितों, पिछड़े और अन्य पिछड़ा वर्ग ने भाजपा के खिलाफ वोटिंग की।


-बीफ विवाद के मुद्दे को वोटरों की ओर से नकारा जाना और वोटरों का ध्रुवीकरण न हो पाना। दादरी में गोमांस को लेकर हुए एक मुस्लिम की हत्या के मुद्दे ने बिहार चुनावों पर भी अपना असर डाला। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इसी मुद्दे पर भाजपा को घेरते हुए मात दी।


- बीजेपी ने बिहार में भी अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया था। बीजेपी की इसी रणनीति को नीतीश ने अपना चुनावी मुद्दा बनाकर बिहारी बनाम बाहरी के नारे पर चुनाव लड़ा।



- महंगाई ने इस चुनाव पर काफी असर डाला। दाल की बढ़ती कीमतों ने मतदाताओं में एक तरह से आक्रोश भर दिया। महंगी दाल ने बीजेपी के समर्थन में खड़े वोटरों को सोचने पर मजबूर कर दिया। गौर हो बिहार जैसे राज्य में आधी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करती है।


- बीजेपी के स्‍थानीय नेताओं को प्रचार अभियान में दरकिनार किया जाना। बिहार में स्थानीय मुद्दों और पार्टी के स्थानीय नेताओं की अवहेलना की गई। शत्रुघ्न सिन्हा, लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ लोगों को चुनाव प्रचार से दूर रखा गया। इस मुद्दे पर शत्रुघ्न सिन्हा और आर. के. सिंह जैसे लोगों ने सार्वजनिक तौर पर अपनी शिकायत भी जाहिर की। इससे राज्य में बीजेपी के खिलाफ माहौल बना।


- नीतीश कुमार की स्वच्छ छवि भी बीजेपी का हार के पीछे एक प्रमुख कारण है। चूंकि बीजेपी के पास कोई सीएम का चेहरा नहीं था। जनता ने नीतीश पर भरोसा रखते हुए उनकी पार्टी के लिए वोटिंग की।


- विकास के नारे के साथ चुनाव में उतरी बीजेपी का मूल मुद्दों से भटकना। पीएम मोदी की ओर से नीतीश और लालू प्रसाद यादव पर सीधे व्यक्तिगत हमले का खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ा।