पटना: लालू प्रसाद यादव बिहार में पिछड़ों, दलितों के राजनीतिक उभार के हीरो माने गए हैं. लालू प्रसाद यादव राजनीति के वो डॉक्टर हैं जिन्हें आप पसंद करें या ना करें लेकिन आप उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते. लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री रहे, देश के रेल मंत्री रहे. अभी भी वो बिहार की सबसे बड़ी पार्टी रही आरजेडी के नेता हैं.


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आज है 73वां जन्मदिन
आज लालू यादव अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं. चारा घोटाले मामले में उन्हें सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सजा सुनाया और उन्हें अब तक 25 साल से ज्यादा की सजा सुनाई जा चुकी है. सेहत ठीक नहीं रहने के कारण उन्हें रांची के रिम्स अस्पताल में रखा गया है, जहां वो हफ्ते में सिर्फ तीन लोगों से मिल सकते हैं.  



हेमा की चिकनी गाल जैसी बिहार की सड़कें
कानून का शिकंजा. बिगड़ती सेहत और घटती सियासी ताकत के साथ लालू अब शायद ही एक्टिव पॉलिटिक्स में वापसी कर पाएं. लेकिन लालू यादव कभी अपने बयानों तो कभी अपने फैसलों के लिए जाने जाते रहे हैं. एक बार बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने कहा था कि वो बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गाल की तरह चिकनी बना देंगे.' उनके इस बयान की चर्चा पूरे देश में हुई थी. 


रातों रात पत्नी को बनाया सीएम
लालू यादव ने 1997 में भांप लिया था कि वो चारा घोटाले मामले में जेल जा सकते हैं. इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को अचानक बिहार की मुख्यमंत्री बनाकर पूरे देश को चौंका दिया था. इसके बाद राबड़ी देवी लगतार तीन बार मुख्यमंत्री बनीं लेकिन इसके लिए लालू यादव के इस फैसले की काफी आलोचना भी हुई और बिहार की राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी भी हुई.



जब तक रहेगा समोसे में आलू...
लालू यादव जब मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने एक बयान दिया था कि जब तक समोसे में आलू रहेगा तब तक बिहार में लालू रहेगा. उन्होंने ये भी कहा था कि बिहार में आलू कभी महंगा नहीं होता. आप हर जगह आलू 2 रूपया..आलू 2 रूपया सुनिएगा.


रोक दी थी आडवाणी की रथयात्रा
लालू यादव ने 1990 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोक दी थी. लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया गया था और लालू यादव ने रातों रात बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाई थी .


नीतीश कुमार से शॉर्ट टर्म दोस्ती
लालू यादव और नीतीश कुमार का साथ आना भी किसी ऐतिहासिक पल से कम नहीं था. कभी लालू यादव और नीतीश कुमार अच्छे दोस्त हुआ करते थे लेकिन नीतीश कुमार उन्हें हराकर बिहार में नया कीर्तिमान स्थापित किया था. दोनों राजनीति में धुर विरोधी हो गए लेकिन 2015 में अचानक दोस्ती कर दोनों ने पूरे देश को आश्चर्यचकित कर दिया लेकिन उसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया.  



अभी भी बिहार की राजनीति के केंद्र बिंदू
लालू यादव पिछले तीन सालों से सजायाफ्ता हैं लेकिन बिहार की राजनीति आज भी लालू यादव के इर्द गिर्द घूमती है. विरोधी पार्टियों के नेता से लेकर प्रवक्ता तक बयान लालू यादव से जुड़े हुए हैं. कहीं ना कहीं उन्हें भी पता है कि लालू यादव की प्रसिद्धि कम नहीं हुई है और जेल में रहने के बाद भी लोगों ने उन्हें भूला नहीं है. आरजेडी के अहम फैसले खुद लालू ही लेते हैं. लालू यादव लंबे अरस से जेल से बाहर भी नहीं निकले हैं लेकिन निश्चित रूप से बिहार की राजनीति में आज भी उनकी सबसे ज्यादा अहमियत है. 


तबियत रहती है खराब
लालू यादव आज 73वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हैं. किडनी, डायबिटीज, हार्ट की समस्याओं के कारण वो लगातार डॉक्टर की निगरानी में भी रहते हैं. लेकिन उम्र के इस पड़ाव में भी उनकी 'चमक' फीकी नहीं हुई है.



बेटे ने संभाली कमान
आरजेडी की कमान लालू यादव ने आधिकारिक तौर पर तेजस्वी यादव को सौंप दी है और तेजस्वी अपने पिता की विरासत को संभालने में सफल भी रहे हैं. आज की तारीख में तेजस्वी यादव को लोगों ने भी आरजेडी के मुख्य नेता के रूप में स्वीकार कर लिया है. नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी वो लगातार एक्टिव रहते हैं और पार्टी की कमान पूरी तरह संभाल चुके हैं.