पटना: कैदी अपने गुनाहों की सजा काटने के लिए जेलों में भेजे जाते हैं. लेकिन कैदियों के लिए ये जेल उनकी सजा से भी ज्यादा महंगी साबित हो रही है. हाल के दिनों में बिहार में जेल प्रशासन की ओर से कैदियों की हुई स्वास्थ्य जांच में बडे पैमाने पर एचआईवी पॉजिटिव कैदी पाए गए हैं.


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 जेल प्रशासन अब इस बात को लेकर चिंतित हो गया है कि ये एचआईवी का वायरस कैदियों को जेल में आने के बाद हुआ या फिर जेल आने से पहले ही कैदी संक्रमित थे. इस नए खुलासे के बाद जेल प्रशासन हरेक कैदी का अलग प्रोफाईल तैयार करने में जुट गया है. साथ ही एचआईवी पीडित कैदियों की काउंसलिंग की भी तैयारी शुरू हो गयी है.


बिहार में कुल 59 छोटे-बड़े जेल हैं. जहां 40 हजार कैदियों को रखने की क्षमता है. जेलों में 38 हजार कैदी बंद हैं. जेल प्रशासन की ओर से अबतक 4 हजार कैदियों के स्वास्थ्य की जांच कराई गई है. जिसमें 2 प्रतिशत कैदियों में एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं. जेल प्रशासन अगले दो तीन महीनों में बांकी के 34 हजार कैदियों के स्वास्थ्य की जांच कराने की तैयारी कर रहा है.



अब बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर इन कैदियों तक एचआईवी के वायरस कैसे पहुंचा. क्या जेल के अंदर कैदियों को एचआईवी की बीमारी हुई या फिर कैदी अपने साथ एचआईवी के वायरस लेकर जेल पहुंचे थे.


बिहार के जेल आईजी मिथिलेश मिश्रा कहते हैं कि कैदियों में एचआईआवी पॉजिटिव के लक्षण पाए गए हैं. हमारी कोशिश है कि हर कैदी का अब प्रोफाईल बने. ताकि संक्रमित कैदी पर विशेष निगरानी हो सके साथ ही उसका ईलाज कराया जा सके. साथ ही संक्रमित कैदियों की काउंसलिंग भी कराई जाएगी. ताकि ये पता चल सके कि उन्हें संक्रमण जेल के अंदर हुआ या फिर वो पहले से संक्रमित थे.


बड़ी बात ये है कि बिहार के जेल आईजी जेल में अप्राकृति यौनाचार की घटना से भी इंकार नहीं कर रहे हैं. जेल के कैदियों में एचआईवी की जांच बिहार एड्स कंट्रोल सोसायटी के सहयोग से किया गया था. सोसायटी के एडिशनल प्रोजक्ट डायरेक्टर डा अभय प्रसाद कहते हैं कि जेल के हालत ऐसे हैं कि वहां अप्राकृतिक यौनाचार की घटना से इंकार नहीं किया जा सकता. 


एक छोटे से बंद जगह पर हरके तबके के कैदी होते हैं. अनहाईजेनिक माहौल में वायरस का प्रकोप फैल सकता है. अमूमन जेल में कैदियों को टीबी की बीमारी हो जाती है. और टीबी के मरीज में एचआईवी फैलने की संभावना ज्यादा होती है. इसीलिए दोनों के उन्मूलन कार्यक्रम को अब साथ चलाने का फैसला लिया गया है.


एचआईवी को पूरे बिहार के परिपेक्ष्य में देखें तो बिहार में एड्स का प्रकोप लगातार बना हुआ है. साल 2019-20 में अप्रैल महीने से अब तक जांच के दौरान 5321 एचआईवी पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं. उम्मीद की जा रही है कि वित्तीय वर्ष खत्म होते होते एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या 11 हजार के आसपास पहुंच जाएगी.


साल 2018-19 में 11 हजार मरीज पॉजिटिव पाए गए थे. वहीं साल 2017-18 में 11 हजार 56 एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई थी. जबकि 2016-17 में 10 हजार 771 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं. बीते पांच सालों में बिहार में कुल 59 हजार 562 एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई है.


बिहार एड्स कंट्रोल सासाईटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बताते हैं कि 80 प्रतिशत मामलों में एड्स की वजह असुरक्षित यौन संबंध पाया गया है. इसके अलावा इंजेक्शन के द्वारा नशा करना भी एड्स की बड़ी वजह बनकर सामने आया है. बिहार में इस वर्ष के शुरुआती छह महीने में 475 गर्भवती महिलाओं में एचआईवी के लक्ष्ण पाए गए हैं. हमारी कोशिश है कि एड्स को नियंत्रित करने के लिए युवाओं को जागरुक किया जाए.