पटना: Bihar Politics: देश की समकालीन राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह का एक बयान और बिहार में ऐसी अफरातफरी मच गई कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव फौरन सीएम नीतीश कुमार से मिलने पहुंच गए. भाजपा के विधानमंडल दल की आपात बैठक बुला ली गई. जीतनराम मांझी भी सक्रिय हो गए. उधर, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की पार्टी के नेताओं की मीटिंग हो चुकी. मतलब बिहार की राजनीति में अमित शाह के एक बयान ने बवंडर खड़ा कर दिया है.


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जानकारों का कहना है कि आज के हालात में जब पूरा देश अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनने को तैयार है, ऐसे समय में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार से मिलने जाना, भाजपा के विधानमंडल दल की आपात बैठक, जीतनराम मांझी का सक्रिय होना, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की पार्टी के नेताओं की मीटिंग होना सामान्य घटना नहीं हो सकती. इन सब संकेतों का मतलब यह है कि बिहार में राजनीति एक बार फिर से करवट ले रही है और बहुत संभव है कि अंतरिम बजट से पहले बिहार में काफी कुछ बदल चुका होगा.


दो दिन पहले नीतीश कुमार की नाराजगी और सीट शेयरिंग को लेकर पूछे गए सवालों का लालू प्रसाद यादव से टालू जवाब दिया था और यह भी कहा था कि यह सब एतना जल्दी थोड़े हो पाता है, लेकिन शुक्रवार सुबह वे और तेजस्वी यादव सीएम हाउस की तरफ रवाना हो गए और तब लगा कि सीट शेयरिंग को लेकर बात हो रही है. इस बीच भाजपा विधानमंडल दल की आपात बैठक हो गई. जेडीयू ने विधायकों को पटना में रुकने का निर्देश जारी कर दिया. यही आदेश जीतनराम मांझी ने भी अपनी पार्टी के विधायकों के लिए जारी कर दिया. फिर तो यह बिहार की राजनीति में बवंडर का संकेत है.


अब आते हैं अमित शाह के बयान पर. दरअसल, अमित शाह से एक इंटरव्यू में सवाल पूछा गया था कि अगर क्या नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा फिर से बन सकते हैं. इसके जवाब में अमित शाह ने कहा था, अगर इस तरह का कोई प्रस्ताव आता है तो इस पर विचार किया जाएगा. बस यह एक वाक्य और बिहार की राजनीति में तूफान आ गया. अमित शाह के इस एक लाइन से महागठबंधन सरकार की उल्टी गिनती की बात की जाने लगी है. हालांकि अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.


इससे पहले अमित शाह बिहार की धरती पर जाकर कहते रहे हैं, नीतीश बाबू! एनडीए के दरवाजे आपके लिए बंद हो चुके हैं. लेकिन अमित शाह अगर यह कह रहे हैं कि अगर कोई प्रस्ताव आता है इस पर विचार किया जाएगा, इसका मतलब यह है कि बिहार में राजनीति जल्द ही बदलने वाली है. अब देखना यह है कि इस बार का पाला बदल क्या नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री रहने देता है या फिर कोई और भूमिका तैयार करके लाता है.