Bihar News: BJP और JDU के मिलन से सुशील मोदी को होगा फायदा, बन सकते हैं डिप्टी सीएम
Bihar News: नीतीश कुमार को लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के ट्वीट से काफी आहत माना जा रहा है. हालांकि, जेडीयू नेता केसी त्यागी ने इसे खारिज किया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं होगा और गठबंधन मजबूत है.
पटना : बिहार की राजनीति में फिर से उठापटक देखने को मिल रही है. सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार 28 जनवरी को बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) और बीजेपी सरकार के साथ मिलकर एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. उनके साथ नए उप मुख्यमंत्री के रूप में बीजेपी के दिग्गज नेता सुशील मोदी भी हो सकते हैं. सुशील मोदी ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो दरवाजे खुल सकते हैं. बिहार में क्या होने वाला है इस सवाल पर बीजेपी नेता ने कहा है कि कुछ कह नहीं सकते, कुछ भी हो सकता है और फैसला केंद्रीय नेता लेंगे.
जेडीयू ने अपने विधायकों को पटना बुलाया है, जो संकेत देता है कि सियासी स्थिति तेजी से बदल रही है. नीतीश कुमार को लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के ट्वीट से काफी आहत माना जा रहा है. हालांकि, जेडीयू नेता केसी त्यागी ने इसे खारिज किया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं होगा और गठबंधन मजबूत है. बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ने भी परिवर्तन की संभावना जताई है, लेकिन उन्होंने कहा कि फैसला अभी केंद्रीय स्तर पर होगा.
दूसरी ओर बिहार राजद नेता श्याम रजक ने गठबंधन को मजबूती से बताया है और दावा किया है कि यह मजबूत बना रहेगा. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि अगर नीतीश कुमार उनके साथ आते हैं तो एनडीए बिहार में सभी 40 सीटें जीत सकती हैं. यह बात उनकी बीजेपी की भरोसेमंदता को दिखाती है. साथ ही राजनीतिक गतिशीलता को समझने के लिए इस विवाद से कुछ संकेत मिलते हैं कि बिहार में राजनीतिक दलों के बीच जल्द ही कोई महत्वपूर्ण फैसला हो सकता है. इस संदर्भ में बीजेपी के दिग्गज नेता सुशील मोदी का बयान उनकी भूमिका को और महत्वपूर्ण बना देता है. वह कहते हैं कि दरवाजे अगर जरूरत पड़ने पर खुल सकते हैं, तो यह संकेत है कि वे भी बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं, तो इसे एक सकारात्मक दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है. यह दिखाता है कि लोगों में राजनीतिक संज्ञान बढ़ रहा है और वे अपने हित के लिए चुनावी नतीजों को ध्यान से देख रहे हैं. इस संदर्भ में, बिहार की राजनीति का यह विवाद एक महत्वपूर्ण दिशा सूचक है जो राजनीतिक व्यवस्था की दिशा को निर्देशित कर सकता है.
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