Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने हरियाणा में बड़ा उलटफेर कर दिया है. पार्टी ने मंगलवार (12 मार्च) को अचानक से सूबे में सरकार की पूरी तस्वीर ही बदल दी. सोमवार को ही पीएम मोदी ने गुरुग्राम में मनोहर लाल खट्टर की तारीफ की और अगले ही दिन उन्हें कुर्सी से उतारकर नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया. इतना ही नहीं बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दुष्यंत चौटाला की जेजेपी से गठबंधन भी तोड़ लिया है. इसको लेकर अब बिहार का राजनीतिक पारा चढ़ गया है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि दुष्यंत के सहारे बीजेपी ने बिहार में अपने साथियों को संदेश देने की कोशिश की है.


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'अबकी बार, 400 पार' के टारगेट को लेकर बीजेपी गठबंधन का दायरा बढ़ाने में लगी है, वहीं दूसरी ओर हरियाणा में गठबंधन तोड़ दिया. चर्चा है कि दुष्यंत चौटाला भी 2 सीटें मांग रहे थे. इसको लेकर वह अमित शाह तक से मुलाकात कर चुके थे. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दुष्यंत ने शाह को गठबंधन तोड़ने की धमकी दी थी. वह कोई कदम उठाते उससे पहले बीजेपी ने ही उनसे दूरी बना ली. अब दुष्यंत के हाथों से प्रदेश की सत्ता भी फिसल गई और बीजेपी ने निर्दलीयों के साथ मिलकर सरकार बना ली है. सियासी जानकारों का कहना है कि बिहार एनडीए के साथियों को भी लगता है कि चुनाव से ठीक पहले बीजेपी उनको नहीं छोड़ सकती है. सीटों का बंटवारा नहीं होने का सबसे बड़ा कारण यही है. हालांकि, हरियाणा का रिजल्ट देखने के बाद अब थोड़ा डर जरूर पैदा होगा.


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बता दें कि बिहार में एनडीए में दलों की संख्या ज्यादा होने के कारण बीजेपी अगर एक को मनाती है तो दूसरा मुंह फुला लेता है. इसके कारण एनडीए के अंदर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला निकलता नहीं दिख रहा है. पार्टी ने मंगलवार को भी लोजपा के दोनों धड़ों को साथ लाने की कोशिश की लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई. रामविलास पासवान के परिवार और पार्टी को एक करने के लिए बिहार बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े ने मंगलवार को रालोजपा के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस से मुलाकात की और उनके सामने चिराग के साथ समझौता करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन पारस ने इससे साफ इनकार कर दिया. जानकारी के मुताबिक, पशुपति पारस ने तावड़े से साफ कहा कि अब एक होना संभव नहीं है. चिराग के साथ अब उनका दल, दिल और परिवार कभी नहीं मिल सकता है. पहले मंगल पांडेय ने भी पशुपति पारस से मुलाकात की थी. पशुपति से मिलने के बाद मंगल पांडेय ने चिराग पासवान से भी मुलाकात की थी. दोनों नेताओं को समझाने का प्रयास किया गया था, लेकिन नतीजा कोई नहीं निकला था. 


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चर्चा है कि चिराग पासवान को मनाने के लिए बीजेपी एक आखिरी प्रयास करने वाली है. बीजेपी ने अब सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला तैयार किया है, उससे चिराग का सम्मान बरकरार रह सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लोजपा के दोनों धड़ों को 7 सीटे देने का प्लान है. इसमें अगर पशुपति पारस हाजीपुर सीट छोड़ते हैं तो उनको 4 सीटें और चिराग को 3 सीटें मिल सकती हैं. वहीं अगर पशुपति हाजीपुर नहीं छोड़ेंगे तो चिराग को 4 सीटें मिल सकती हैं. अगर इस प्लान को किसी ने मानने से इनकार किया तो उसे एनडीए से बाहर करने का भी प्लान है.