Nitish Kumar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर चौंकाने वाला फैसला लेते रहते हैं. नीतीश ने शनिवार (13 जनवरी) को विपक्षी गठबंधन INDI Alliance के संयोजक पद को ठुकरा दिया. उन्होंने साफ कहा कि उनकी किसी पद में कोई दिलचस्पी नहीं है. जबकि इससे अभी तक संयोजक बनने को लेकर वह नाराज बताए जा रहे थे. नीतीश कुमार को करीब से जानने वालों का कहना है कि नीतीश कुमार ने ऐसा करके राजद अध्यक्ष लालू यादव की नींद उड़ा दी है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार के पाला बदलने से ना सिर्फ महागठबंधन सरकार भरभरा कर गिर जाएगी. बल्कि पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष में जो कवायद शुरू हुई है, उसे भी तगड़ा झटका लगा है. नीतीश कुमार के इस कदम के पीछे 4 बड़ी वजहें सामने आ रही हैं. 


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NDA में जाने का विकल्प खुला


पाला बदलने में नीतीश कुमार माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. नीतीश कुमार ने इंडी अलायंस का संयोजक पद ठुकराकर अपने लिए एनडीए की खिड़की खोल रखी है. अगर वह इंडी गठबंधन के संयोजक बन जाते तो वह बंद हो जाती. अगर वह ऐसा ना करते तो उनके ऊपर गठबंधन के साथ चलने की मजबूरी बन जाती. अब गठबंधन से जुड़े रहने की मजबूरी से वह मुक्‍त हो गए हैं. अब अगर गठबंधन में जेडीयू को सही सीटें ना मिली तो नीतीश कुमार दूसरा ऑप्शन चुन सकते हैं. 


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प्रेशर पॉलिटिक्स के महारथी


नीतीश कुमार प्रेशर पॉलिटिक्स के प्रिसिंपल माने जाते हैं. इंडी अलायंस का संयोजक पद ठुकराकर उन्हें गठबंधन पर दबाव डालने वाला दांव चल दिया है. अब अगर नीतीश को इंडी अलायंस में जोड़कर रखना है तो उन्हें मुंहमांगी सीटें देनी ही होंगी. अगर ऐसा ना किया गया तो राजद से उनकी दोस्ती टूट सकती है. 


कप्तानी से कम कुछ भी नहीं


इंडी अलायंस में अध्यक्ष पद पर खड़गे के रहते नीतीश कुमार की भूमिका सिर्फ नंबर-2 की होती. जबकि नीतीश कुमार को हमेशा कप्तान बनना पसंद है. यही वजह है कि बिहार में सरकार चाहे महागठबंधन की हो या एनडीए की, मुख्यमंत्री हमेशा नीतीश कुमार ही बनते हैं. संयोजक पद ठुकराकर उन्होंने साफ संदेश दिया है कि उन्हें अब पीएम पद से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा. 


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लालू को उनकी ही चाल से मात दी!


कहा जा रहा है नीतीश कुमार ने ऐसा करके लालू यादव को उनकी ही चाल से मात देने की कोशिश की है. दरअसल, महागठबंधन सरकार में लालू यादव के दोनों बेटे मंत्री हैं. लेकिन लालू अपने छोटे बेटे यानी डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक, ललन सिंह इसमें बड़ी भूमिका निभाने वाले थे. लेकिन सही समय पर नीतीश कुमार को इसकी भनक लग गई और ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. अब अगर नीतीश एक बार फिर से पलटी मारते हैं तो लालू के दोनों बेटे फिर से रास्ते पर आ जाएंगे.