Bihar Politics: मंगलवार (27 फरवरी) का दिन बीजेपी के लिए काफी सुखद साबित हुआ. भगवा पार्टी को यूपी और हिमाचल प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव में कामयाबी मिली. दोनों राज्यों में हुई क्रॉस वोटिंग के चलते बीजेपी उम्मीदवार की जीत हुई. बिहार में भी भगवा खेमे को जश्न मनाने का मौका मिला. यहां महागठबंधन के तीन विधायकों ने पाला बदल लिया. कांग्रेस के सिद्धार्थ सौरभ, मुरारी गौतम और राजद की संगीता कुमारी ने मंगलवार की शाम को अचानक से एनडीए की तरफ चले गए. तीनों विधायकों ने आधिकारिक तौर पर यह नहीं स्वीकार किया कि वे बीजेपी में जा रहे हैं या फिर जदयू में. हालांकि चर्चा ये है कि सिद्धार्थ और संगीता देवी बीजेपी ज्वाइन कर सकती हैं, जबकि मुरारी गौतम का झुकाव जेडीयू के प्रति दिख रहा है. लेकिन जिस तरह से वह भी सम्राट चौधरी के साथ विधानसभा पहुंचे थे तो उसके हिसाब से वह भी बीजेपी में जा सकते हैं. 


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राजनीतिक पंडित इस घटना के लिए कांग्रेस को दोषी ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी आज इतनी कमजोर हो चुकी है कि उसके नेता बड़ी आसानी से टूट जाते हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस आलाकमान कई बार पार्टी की आंतरिक कलह को सुलझाने में नाकामयाब साबित हुआ है. हिमाचल प्रदेश में हुआ राज्यसभा चुनाव इसका ताजा उदाहरण है. हिमाचल में कांग्रेस के पास 40 विधायक थे और बीजेपी के पास सिर्फ 25. इसके बाद भी बीजेपी कैंडिडेट की जीत हुई. कांग्रेस में गुटबाजी के कारण पार्टी के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग करके बीजेपी के उम्मीदवार को जितवा दिया. सियासी जानकारों का कहना है कि बिहार में कांग्रेस की कमजोरी का खामियाजा तेजस्वी यादव को भी उठाना पड़ रहा है. 


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उनका कहना है कि बिहार में बीजेपी का ऑपरेशन लोटस की शुरुआत उस वक्त हुई थी जब नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी हुई थी. फ्लोर टेस्ट को लेकर शुरुआत में बीजेपी के निशाने पर कांग्रेस थी. लेकिन तेजस्वी ने 'खेला' करने की धमकी देकर गलती कर दी थी. तेजस्वी ने कांग्रेस को भी सचेत कर दिया था, जिससे कांग्रेस पार्टी सावधान हो गई और अपने विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया था. यही वो समय था जब तेजस्वी को सबक सिखाने के लिए खुद अमित शाह ने कमान संभाल ली थी. शाह ने सम्राट चौधरी को दिल्ली बुलाया और उन्हें जो टास्क सौंपा था, उसे सम्राट ने पूरा करके दिखाया है. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि विपक्षी दलों में टूट का यह सिलसिला अभी थमा नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष के कुछ और विधायक टूटकर सत्तापक्ष में शामिल होने की कतार में हैं. खुद सम्राट चौधरी ने इसके संकेत दिए हैं.