Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मन बड़ा विचलित नजर आ रहा है. उनके दिल में कभी NDA के लिए उनका पुराना प्यार जाग जाता है. तो कभी उन्हें नए आशिक INDIA से वफादारी की उठाई गई कसमें याद आ जाती हैं. मुख्यमंत्री की इस कन्फ्यूजन के कारण बिहार का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. पारा चढ़े भी क्यों ना, नीतीश लगातार चौंकाने वाले फैसले ले रहे हैं. कल तक जहां नीतीश कुमार के पलटी मारने की अटकलें लगाई जा रही थीं. वहीं आज मुख्यमंत्री विपक्षी गठबंधन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. नीतीश के इन दावों से उनकी पार्टी जेडीयू के नेता ही कन्फ्यूज हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उन्हें किसके खिलाफ अपनी रणनीति तैयार करनी है. 


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दरअसल, राम मंदिर कार्यक्रम से दूरी बनाकर और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ जुड़ने की मंजूरी देकर नीतीश ने विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है. जबकि इससे पहले तक वह इंडी गठबंधन में गठबंधन का संयोजक नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे थे. इंडी गठबंधन की दिल्ली बैठक के बाद नीतीश की नाराजगी का सबसे पहला शिकार उनके ही करीबी ललन सिंह हुए. ललन सिंह को राजद अध्यक्ष लालू यादव से करीबी रखने के आरोप में जेडीयू अध्यक्ष की कुर्सी से उतार दिया गया. इतना ही नहीं पार्टी कार्यकारिणी से नीतीश गुट को पूरी तरह से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.


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इसके बाद महागठबंधन सरकार में खलबली मची. नीतीश ने अपनी कैबिनेट में बड़ा फेरबदल करते हुए राजद कोटे के तीन मंत्रियों के विभाग बदल दिए. जिन मंत्रियों पर गाज गिरी, उनमें लालू-तेजस्वी के करीबी नेता प्रो. चंद्रशेखर यादव भी शामिल हैं. प्रो. चंद्रशेखर को शिक्षा मंत्री के पद से हटाकर गन्ना विकास उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. अब चंद्रशेखर यादव सिर्फ नाम के मंत्री हैं. बिहार में गन्ना विभाग में कोई खास काम नहीं होता. खास बात ये है कि नीतीश ने ये एक्शन भी उस वक्त लिया था, जब ठीक एक दिन पहले लालू और तेजस्वी ने उनसे मुलाकात की थी. 


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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर से भी नीतीश के लिए दरवाजे खोल दिए गए थे. इसके बाद तो हम संरक्षक जीतन राम मांझी ने 25 जनवरी को बिहार की सत्ता परिवर्तन की तारीख तक घोषित कर दी थी. उन्होंने अपने विधायकों को राजधानी पटना में ही रुकने का निर्देश दिया है. वहीं नीतीश की पार्टी जेडीयू के नेताओं के सुर भी बीजेपी के प्रति बदल चुके थे. जेडीयू नेताओं ने बीजेपी की जगह आरजेडी के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया था. अब नीतीश कुमार फिर से विपक्षी गठबंधन के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं. चुनाव से ठीक पहले उनकी इस तरह की राजनीति से उनकी पार्टी के कार्यकर्ता तक कन्फ्यूज हैं. कहीं नीतीश को ये कन्फ्यूजन चुनाव में भारी ना पड़ जाए.