Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की तैयारियां अपने अंतिम पड़ाव में हैं. आम चुनावों के मद्देनजर देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने अपनी पूरी टीम के साथ बिहार का दौरा किया और तैयारियों की समीक्षा की गई. राजीव कुमार ने बुधवार (21 फरवरी) को पटना में प्रेस को संबोधित किया, जिसमें आम चुनाव को लेकर सारी जानकारी शेयर की. राजीव कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय पार्टियों में आप, बीएसपी, बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआई(एम) के अलावा क्षेत्रीय पार्टियों जेडीयू, आरजेडी, लोजपा, लोजपा-रामविलास,  सीपीआई-एमएल के नेताओं से मुलाकात की गई. इन दलों ने अपनी कुछ मांगें रखी हैं. 


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उन्होंने बताया कि बिहार में 40 सीट हैं. इनमें 34 जनरल और छह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. राजीव कुमार ने बताया कि बिहार में  महिला मतदाताओं की संख्या 2019 की अपेक्षा बढ़ी है. बताया कि बिहार में 9.26 लाख फर्स्ट टाइम वोटर हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि बिहार में 7.64 करोड़ वोटर हैं इनमें 4 करोड़ पुरुष और 3.6 करोड़ महिला मतदाता है. 21,689 वोटर की उम्र 100 साल से अधिक है और 9.26 लाख फर्स्ट टाइम वोटर हैं. मतदाताओं की मौत या उनका स्थान बदलने के कारण आयोग ने 16.7 लाख वोटरों के नाम हटा दिए हैं. 


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राजनीतिक पंडितों का कहना है कि फर्स्ट टाइम वोटर ही किंगमेकर की भूमिका निभाते हैं. यह ऐसा वोटबैंक है जो बड़ा सोच-समझकर वोट करता है. 9 लाख से ज्यादा फर्स्ट टाइम वोटर सभी राजनीतिक दलों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं. इस वोटबैंक को साधने के लिए विपक्ष जहां बेरोजगारी को लेकर सरकार पर हमलावर हैं, तो वहीं बीजेपी गठबंधन भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है. पिछले कुछ चुनावों को देखें तो फर्स्ट टाइम वोटर पर पीएम मोदी का विशेष फोकस रहता है. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस वोटबैंक को साधने में पीएम मोदी की परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम अहम रोल निभाता है. इसी कारण से यह वोटबैंक बीजेपी का कोर वोटर बन चुका है. 


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पिछले चुनाव में बिहार में कुल वोटरों की संख्या 7,06,03,778 थी, जिनमें 3,73,07,904 पुरुष, 3,32,93,468 महिला और 2406 ट्रांसजेंडर थे. 2014 की तुलना में 14.41 लाख वोट बढ़े थे. इनमें फर्स्ट टाइम वोटर्स की संख्या 5.79 लाख थी. पिछले चुनाव में एनडीए उम्मीदवारों का वोट शेयर 35.4 फीसदी तो वहीं यूपीए प्रत्याशियों का वोट शेयर 28.3 फीसदी थी. वोट शेयर में इतना बड़ा अंतर साफ दर्शाता है कि पिछले चुनाव में युवा वर्ग ने दिल खोलकर बीजेपी गठबंधन को वोट किया था और इसी कारण से मोदी को 2014 से ज्यादा सीटें मिली थीं.