Patna: Lok Sabha Election 2024: लोजपा रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान एनडीए से नाराज हैं. उनकी नाराजगी के दो कारण हैं: एक तो उनकी मनचाही हाजीपुर सीट पर उनके लड़ने को लेकर एनडीए में कोई फैसला नहीं हो पाया है, दूसरा वे एनडीए में 5 से अधिक सीटें चाहते हैं. दोनों ही मसलों पर उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है. इसी नाराजगी को महागठबंधन या फिर इंडिया ब्लॉक भुनाना चाहता है. महागठबंधन की ओर से बड़ा दांव चलते हुए चिराग पासवान को एनडीए छोड़ने और इंडिया में शामिल होने का न्यौता दिया गया है. अगर चिराग पासवान इस पर सहमत होते हैं तो यह एनडीए के लिए बहुत बड़ा झटका हो सकता है और महागठबंधन के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत बड़ी बढ़त भी. सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन ने चिराग पासवान को बिहार में 8 और उत्तर प्रदेश में 2 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि चिराग पासवान ने इस पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है. अब सवाल यह है कि क्या चिराग पासवान रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के रास्ते पर चलते हैं या फिर महागठबंधन की ओर रुख करते हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

READ ALSO: बिहार में NDA को लग सकता है बड़ा झटका,INDIA गठबंधन ने दिया चिराग पासवान को ये बड़ा ऑफर


रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ने का आफर दिया था. रालोद के लिए अखिलेश यादव का यह आफर मनमाफिक था पर उनके दिमाग में कुछ और चल रहा था. जब अखिलेश यादव की ओर से यह ऐलान कर दिया गया कि रालोद को 7 सीटें दी जाएंगी, उसके बाद मोदी सरकार की ओर से किसान नेता रहे चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देे का ऐलान कर दिया गया. उसके बाद पत्रकारों ने जब जयंत चौधरी से पूछा कि क्या वे एनडीए में जा रहे हैं तो उनका जवाब था कि किस मुंह से मैं इनकार करूं. अंतत: जयंत चौधरी ने एनडीए के साथ जाने का फैसला किया. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जयंत चौधरी ने यह नहीं सोचा कि उन्हें कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना है, उन्होंने इस पर विचार किया कि कितनी सीटें वे जीत सकते हैं. बताया जा रहा है कि एनडीए में उन्हें केवल 2 सीटें दी जा रही हैं. यह आश्चर्यजनक है कि रालोद ने सपा के 7 सीटों के आफर को दरकिनार कर एनडीए के 2 सीटों के आफर का मान रखा.


अब चिराग पासवान के सामने वहीं दुविधा फिर खड़ी हो गई है. लोजपा आर अभी किसके साथ जाएगी, यह अभी तय नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल में बिहार में 3 रैलियां कर चुके हैं और चिराग पासवान के अलावा उपेंद्र कुशवाहा ने अभी तक उनकी रैलियों से दूरी बनाई हुई है. सूत्रों का कहना है कि पार्टी के अधिकतर नेताओं का रुझान अभी भी एनडीए की तरफ ही है, लेकिन सब कुछ निर्भर करेगा कि एनडीए कितनी सीटों का ऑफर लोजपा को देता है. चिराग पासवान एनडीए के साथ तभी रहेंगे, जब हाजीपुर सीट उन्हें मिल जाए. हाजीपुर सीट रामविलास पासवान की परंपरागत सीट रही है और चिराग पासवान स्वाभाविक रूप से उस पर अपना हक जताते हैं. दूसरी तरफ पशुपति कुमार पारस का कहना है कि उनके भैया रामविलास पासवान ने उन्हें यह सीट उनकी झोली में डाली है, लिहाजा इस सीट पर सबसे बड़ा हक उनका है. हाजीपुर सीट के लिए चिराग पासवान भाजपा की ओर देख रहे हैं, लेकिन लगता है कि भाजपा चाचा भतीजे की लड़ाई में ज्यादा दखल देने के मूड में नहीं है. 


READ ALSO: Nitish Kumar London: आज England रवाना होंगे नीतीश कुमार, एक सप्ताह के लिए दौरे पर CM


चिराग पासवान खुद को मोदी का हनुमान घोषित करते हैं पर पीएम मोदी और भाजपा के सामने उनकी पार्टी खंड खंड हो गई और भाजपा ने उनका साथ नहीं दिया. उल्टे उनके चाचा और लोजपा के बागियों के नेता पशुपति कुमार पारस को मंत्री पद से नवाजा गया. कुल मिलाकर चिराग पासवान को उनके हनुमान होने का अभी तक भाजपा की ओर से कोई फायदा नहीं दिया गया है. यह टीस चिराग पासवान के मन में है. दूसरी ओर, अगर चिराग पासवान राजद या महागठबंधन के साथ जाते हैं तो उनका सबसे बड़ा बेस वोट बैंक के खिसकने का भी डर बना हुआ है. पीएम मोदी की योजनाओं का सबसे अधिक फायदा चिराग पासवान के वोट बैंक को मिला है. दूसरी ओर, राजद के साथ जाने से चिराग पासवान के कोर वोटर तेजस्वी यादव के यादव वोटरों के साथ उस तरह नहीं घुल मिल सकेंगे, जितना अभी वे भाजपा के वोटरों के साथ मिल गए हैं. सबसे बड़ी बात यह कि अगर चिराग पासवान अपनी पार्टी के के नेताओं की राय के विपरीत तेजस्वी यादव के साथ जाते हैं तो एक और टूट को वे दावत दे सकते हैं. कुल मिलाकर चिराग पासवान के लिए फैसला करना आसान नहीं होगा.