Gopalganj Seat Profile: लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. आने वाले एक या दो महीने में जनता को एक बार फिर से अपना सांसद चुनने का मौका मिलने वाला है. इससे पहले पुराने चुनाव पर एक नजर डाल लेते हैं. बिहार में इस बार के समीकरण काफी बदल चुके हैं. पिछली बार की तुलना में बीजेपी ने जातीय संतुलन साधते हुए अपने साथी बढ़ा लिए हैं. इस कारण से इस बार राजद नेता तेजस्वी यादव को ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी. 2019 में आए मोदी तूफान के सामने लालू यादव की लालटेन की लौ पूरी तरह से बुझ गई थी. उस चुनाव में लालू यादव के गृह जिले में भी राजद प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था. 


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राजद अध्यक्ष के गृह जिले यानी गोपालगंज सुरक्षित सीट की बात करें तो वहां से जेडीयू के डा. आलोक कुमार सुमन 5,68,150 यानी 55.44 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. वहीं राजद के सुरेंद्र राम को 2,81,716 यानी 27.49 प्रतिशत वोट मिले थे. इस तरह डा. सुमन ने सुरेंद्र राम को 2,86,434 वोटों से हराया था. ये करारी शिकस्त आज भी लालू यादव को सोचने के लिए मजबूर करती है. 2014 में भी यहां राजद प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था. 2014 में यहां से बीजेपी के जनक राम की जीत हुई थी. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ ज्योति भारती को तकरीबन 2 लाख वोटों से हराया था. 


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इस सीट का सामाजिक समीकरण


उत्तरप्रदेश के देवरिया व कुशीनगर जनपद की सीमा से लगे तथा गंडक नदी के किनारे बसा गोपालगंज पूर्णत: खेती पर आधारित है. वर्ष 2009 से यह संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. पूर्व में यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा. यहां वर्ष 1962 से 1977 तक लगातार चार बार कांग्रेस के द्वारिकानाथ तिवारी सांसद चुने गए. 1980 में कांग्रेस के नगीना राय सांसद बने. 2009 में जदयू के पूर्णमासी राम सांसद चुने गए.